नयी दिल्ली,05 जुलाई, भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार और चार अन्य अधिकारियों को आज पांच दिन की केन्द्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई)की रिमांड पर भेज दिया गया । सीबीआई की अदालत में पेशी के बाद इन अधिकारियों को रिमांड पर भेजने का आदेश दिया गया। सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश वकील ने आरोपियों के लिए 10 दिनों की हिरासत की मांग की थी लेकिन अदालत ने केवल पांच दिनों की हिरासत की ही अनुमति दी। इसके साथ ही अदालत ने सीबीआई को यह कहते हुए फटकार भी लगाई कि जब इन अधिकारियों के खिलाफ मामला 2015 में दर्ज हो चुका था तब उन्हें अब गिरफ्तार करने की क्या आवश्यकता थी। इस पर सीबीआई ने कहा कि राजेन्द्र कुमार एक वरिष्ठ नौकरशाह हैं और अगर वह गवाहों को धमकाते हैं तो जांच निष्पक्ष नहीं हो सकती,इसलिए उन्हें गिरफ्तार करना जरूरी हो गया है।
इस पर राजेन्द्र कुमार के वकील ने दलील दी कि सीबीआई पिछले सात महीने से जांच कर रही है लेकिन उसे उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं। इस पर अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि उसे राजेन्द्र कुमार अौर अन्य चार अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार में संलिप्तता के कई सबूत मिले हैं जो यह साबित करने के लिए काफी हैं कि ये सभी फर्जीवाड़े में शामिल रहे हैं। सीबीआई ने सोमवार को राजेन्द्र कुमार सहित पांच अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। पहले इन सबको पूछताछ के लिए सीबीआई मुख्यालय ले जाया गया था। करीब साढ़े छह घंटे की पूछताछ के बाद शाम को इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। इन सबको आज अदालत में पेश किया गया था। गिरफ्तार किए गए अधिकारियों के खिलाफ सरकारी ठेकों में घूस लेने समेत भ्रष्टाचार के कई और आरोप हैं। राजेन्द्र कुमार के अलावा गिरफ्तार चार अधिकारियों में से तरुण शर्मा दिल्ली के मूल्य संवर्धित कर विभाग के पूर्व सहायक निदेशक रह चुके हैं और बाकी तीन संदीप कुमार,दिनेश कुमार और अशाेक कुमार एंडेवर कंपनी के निदेशक रहे हैं।

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