गुजरात में चल रहे “आज़ादी कूच” के समर्थन में भोपाल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 17 अगस्त 2016

गुजरात में चल रहे “आज़ादी कूच” के समर्थन में भोपाल

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(16 अगस्त 2016,भोपाल), तथाकथित गौरक्षकों द्वारा 11 जुलाई को उना के चार दलितों की बेहरमी से पिटाई की गयी थी जिसके बाद से इसको लेकर गुजरात सहित पूरे देश में आक्रोश है. वहां 5 अगस्त से दलित स्वाभिमान यात्रा शुरू की गयी थी जिसे आज़ादी कूच भी कहा गया. यह यात्रा गुजरात के विभिन्न हिस्सों से गुजरी और इस दौरान दलित समाज के लोगों को मैला नहीं उठाने, सीवर की सफाई नहीं करने और मरे हुए जानवरों की खाल नहीं उतारने की प्रतिज्ञा दिलवाई गयी. दलित अस्मिता यात्रा 15 अगस्त को उना पहुंची जहाँ ध्वजारोहण किया गया. इसमें गुजरात सहित पूरे देश से बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए.


इस आन्दोलन के समर्थन में भोपाल के संगठनों द्वारा दिनांक 15 अगस्त 2016 को गाँधी भवन में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान राष्ट्रीय सेक्युलर मंच के एल.एस. हरदेनिया के कहा कि “हमारे देश सदियों से दलितों के साथ भेदभाव हो रहे हैं जो आजादी के सत्तर सालों बाद आज भी जारी है,स्वामी विवेकानंद ने दलितों को गले लगाने का आह्वान किया था. राष्ट्रपति महोदय ने भी स्वतंत्रता दिवस के अपने अभिभाषण में कमजोर वर्गों की सुरक्षा और उनके विकास की बात की है. हम सभी को इसके लिए आगे आना होगा”.

अहिरवार समाज संघ मप्र प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. जगदीश सूर्यवंशी ने कहा कि “ऊना की घटना हमारे देश की व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती हैं, गौरक्षा के नाम पर इस तरह की घटनायें  दलित और अल्पसंख्यक समुदाय को दबाने की सोची समझी साजिश है जिसे सरकार में बैठे लोगो का समर्थन प्राप्त है.” प्रगतिशील लेखक संघ के शैलेन्द्र शैली ने कहा कि “दलित समाज और कमजोर वर्गों की रक्षा करना ही देशहित है, मगर जरूरत इस बात की है कि सभी प्रगतिशील और लोकतान्त्रिक ताकतें वर्ण व्यवस्था के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करें”. नागरिक अधिकार मंच के जावेद अनीस ने कहा कि “अंग्रेजों से हमें आजादी तो मिल गयी है लेकिन सामाजिक आजादी अभी बाकी है. ऊना घटना के बाद जो प्रतिरोध हुआ है वो इसी दिशा में बढ़ा एक कदम है. आजादी में यकीन रखने वाले सभी  लोगों को इसका समर्थन करना चाहिए.”

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