पटना 13 अगस्त, बिहार के उप मुख्यमंत्री और पूर्व किक्रेटर तेजस्वी यादव ने राज्य में खेल संस्कृति के विकास पर बल देते हुए आज कहा कि यदि इस दिशा में ईमानदार कोशिश की गयी तो राज्य के युवाओं में वैश्विक स्तर पर अपना परचम लहराने की क्षमता है। श्री यादव ने सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर ‘ मेरे दिल की बात’ श्रृंखला के अंतर्गत ओलंपिक, भारत और बिहार के संदर्भ लिखे ‘वॉल’ में स्वीकार किया है कि राज्य में खेल कूद को बढ़ावा देने की कोई ईमानदार कोशिश नहीं हुई है जिसके कारण अभिभावक भी अपने बच्चों को खेलों के प्रति ज्यादा प्रोत्साहित नहीं करते। उन्होंने कहा कि बिहार में भी खेल कूद की संस्कृति का विकास कर इसे जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाना होगा। माता-पिता और शिक्षको को जीवन में खेलकूद और स्वास्थ्य के महत्व को समझना होगा। उप मुख्यमंत्री ने ब्राजील के रियो डी जनेरियों में चल रहे ग्रीष्मकालील ओलंपिक खेलों की चर्चा करते हुए लिखा , “खेल जगत का सबसे बड़ा उत्सव, खेल की दुनिया का महाकुंभ रियो में चल रहे हैं। विश्वभर के खिलाडी ओलंपिक में अपने अपने देशों का प्रतिनिधित्व करने रियो में जमा हुए हैं। इन सभी खिलाड़ियों के सालों की मेहनत और तपस्या को चन्द मिनटों या सेकंडों में आजमाने का समय आ गया है। ”
श्री यादव ने कहा , “ इस बात की खुशी है कि इस ओलंपिक में बड़ी तादाद में भारतीय खिलाड़ी शिरकत कर रहे हैं लेकिन एक बिहारी होने के नाते मुझे अत्यंत दुःख होता है कि बिहार का कोई भी खिलाड़ी राज्य का नाम रौशन करने के लिए इसका सफर तय नहीं कर पाया है। उन्होंने स्वीकार किया कि कुछेक राज्यों को छोड़कर सभी जगह यही स्थिति है। ना तो कभी ज़मीनी स्तर पर काम करते हुए प्रतिभा को निखारने का प्रयास किया गया, ना खेल कूद को प्रोत्साहन देने के लिए उचित धनराशि आवंटित की गई है। जो बात दिल को और कचोटती है वह है यथास्थिति को बदलने के प्रति उदासीनता। ” उप मुख्यमंत्री ने कहा , “ भारत के खिलाड़ी भी अपने-अपने खेलों और उनके विभिन्न वर्गों में क्वालीफाई करके ओलंपिक में भाग लेने के लिए पहुँच गए हैं। अबतक कुछ प्रतिस्पर्धा में बने हुए हैं तो कुछ आगे के राउंड में प्रवेश कर अपनी दावेदारी को कायम रखे हुए हैं। भारत के खिलाडी इस ओलंपिक में लंदन ओलंपिक के मुकाबले और अधिक पदक अंक तालिका में जोड़ पाए तो हर भारतीय को और अधिक ख़ुशी और गर्व होगा। ” श्री यादव ने कहा , “ यह वास्तविकता है कि खेल कूद में सालों झोंकने के बाद भी कुछेक खिलाड़ी ही विश्व स्तर पर नाम कमा पाते है। कुछ राष्ट्रीय स्तर तक नाम कमाते हैं तो कुछ राज्य स्तर तक। किसी का खेल जीवन ‘सिस्टम’ की भेंट चढ़ जाता है तो किसी का खेलों में राजनीति का। खेल से बहुत से लोगों को ढंग का रोज़गार मिल जाए, ऐसा भी नही है लेकिन पर खेलो और खिलाड़ियो से भावनात्मक जुड़ाव पूरे देश का होता है।”
उप मुख्यमंत्री ने आगे लिखा , “ इसी भावनात्मक जुड़ाव के कारण देशवासी खिलाड़ियो के जीत को अपनी जीत मानते है और उनके हार को अपनी हार। खेलो से कभी पूरे देश में हर्षोल्लास का वातावरण बन जाता है तो कभी मातम का माहौल। कोई खेल को जंग मानता है तो कोई मात्र मनोरंजन का साधन। पर इसमें कोई दो राय नही है कि समय समय पर खेल हमे स्वयं पर और देश पर गर्व करने का अवसर देते है और राष्ट्र निर्माण में अपना ही योगदान देते है। खेल को नज़रअंदाज़ कतई नहीं करना चाहिए।” श्री यादव ने कहा , “ मणिपुर, हरियाणा और पंजाब जैसे छोटे और कम आबादी वाले राज्य खेल कूद के मामले में बिहार से कहीं आगे है। हरियाणा और पंजाब में एक निर्धारित स्तर पर नाम कमाने पर सरकारी नौकरी दी जाती है और अच्छा करने पर पदोन्नति भी दी जाती है। मणिपुर, जो एक छोटा राज्य है, वह दिखाता है कि यदि खेल कूद को संस्कृति का हिस्सा बना दिया जाए तो प्रतिभा स्वयं आगे आने लगती है। हमें बिहार में भी खेल कूद की संस्कृति का विकास करना होगा। इसे जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाना होगा।” उप मुख्यमंत्री ने कहा , “ खेल कूद ना सिर्फ हमे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाते है, बल्कि चुनौतियो का सामना करना, तालमेल बिठाना, लक्ष्य साध कर मेहनत करना और एक दूसरे की मदद करते हुए आगे बढ़ना सिखाती है। व्यक्तित्व के पूर्ण विकास के लिए खेलों के महत्व को बिहारवासियों और व्यवस्था को समझना ही पड़ेगा।”

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