नीतीश ने नीति आयोग से बिहार को विशेष दर्जा दिये जाने की वकालत की - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 14 अगस्त 2016

नीतीश ने नीति आयोग से बिहार को विशेष दर्जा दिये जाने की वकालत की

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पटना 13 अगस्त, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नीति आयोग से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की वकालत करते हुए आज कहा कि जब तक यह राज्य विकसित नहीं होगा तब तक देश का विकास संभव नहीं है । श्री कुमार ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पंगारिया को लिखे पत्र में कहा है कि यह सभी के लिए सोंचना आवश्यक है कि वर्ष 2030 तक भारत कैसे एक विकसित राष्ट्र बनेगा और इसके लिए बिहार को एक विकसित राज्य बनना आवश्यक है । उन्होंने कहा कि बिहार को विकसित राज्य बनने के लिए तेजी से विकास करने की आवश्यकता है और इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए । मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति आयोग की ओर से बिहार को विशेष सहायता दिये जाने की अनुशंसा किये जाने से यह स्पष्ट है कि आयोग बिहार की समस्याओं से अवगत है । उन्होंने कहा कि बिहार के 10 करोड़ लोगों की तरफ से कई अवसरों पर तथा प्रधानमंत्री से भी वह मिलकर विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग कर चुके है । उन्होंने कहा कि विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जाना बिहार के साथ घोर अन्याय है । 


श्री कुमार ने कहा कि बिहार ने पूरे विश्व में यह दिखा दिया है कि सीमित संसाधनों के बावजूद किस तरह यह राज्य विकास के मार्ग पर तेजी से बढ़ रहा है । उन्होंने कहा कि सामाजिक-आर्थिक जनगणना के आंकड़े को जारी किया जाना आवश्यक है ताकि जो लोग विकास के मार्ग पर पीछे रह गये है उनके लिए विशेष योजनाऐं बनायी जा सके । उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के लगातार प्रयास के बावजूद राज्य में जनसंख्या वृद्धि का दर अधिक है । मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से लगभग आधा है । उन्होंने कहा कि रघुराम राजन समिति ने अपने अनुशंसा में बिहार को अरूणाचल प्रदेश ,असम ,झारखंड, मध्यप्रदेश,मेघालय, छतीसगढ़ ,उत्तर प्रदेश और राजस्थान के साथ सबसे कम विकसित राज्यों की श्रेणी में रखा है । उन्होंने कहा कि केन्द्रीय योजनाओं में केन्द्र सरकार का अनुदान अब पहले से कम हो रहा है और राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ता जा रहा है । श्री कुमार ने कहा कि पूर्व में केन्द्र सरकार कई केन्द्रीय योजनाओं के कार्यान्वयन में शत प्रतिशत वित्तीय बोझ उठाती थी । उन्होंने कहा कि बाद में केन्द्रांश 90 प्रतिशत और राज्य का 10 प्रतिशत किया गया । उन्होंने कहा कि राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ाते हुए इसे अब 40 प्रतिशत तक कर दिया गया है । इस तरह की प्रवृति से राज्यों पर लगातार वित्तीय बोझ बढ़ता जा रहा है जो उचित नहीं है । 

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