राजधानी दिल्ली की हृदयस्थली कनाट प्लेस के मध्य स्थित सेंट्रल पार्क में करीब दो दर्जन मिथिला युवा कवियों ने मिथिलालोक के रंग -विरंगे पाग को पहनकर कवि गोष्ठी में भाग लिया। कवियों का यह मनोरम दृश्य देखने लायक था। युवा कवियों के द्वारा मिथिला पाग संस्कृति को अपनाया जाना कहीं न कहीं देश एवं क्षेत्र के सांस्कृतिक उत्थान के प्रति इनका रुझान ही है। गौरतलब है कि मिथिला संस्कृति को देश की सांस्कृतिक मुख्यधारा से जोड़ने के लिए मिथिलालोक फाउंडेशन एक पाग बचाउ अभियान चला रहा है जिसमे जाति धर्म से ऊपर उठकर सभी वर्ग के लोग बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहे है। फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ बीरबल झा का मानना है कि मिथिला संस्कृति को यथोचित रूप में प्रस्तुत करने पर समाज में लोग तनाव मुक्त होंगे एवं खुशहाल जिंदगी व्यतीत करेंगे। ज्ञात हो कि संस्था सांस्कृतिक , सामाजिक समरसता एवं आर्थिक उत्थान के लिए काम कर रही है।
कवि गोष्ठी में भाग लेते हुए यूवा कवि मनीष झा बौआभाई का कहना है , कि हमे मिथिला संस्कृति पर गर्व है, एवं पाग संस्कृति से हमारी अलग पहचान बनती है। वहीं पर मिथिला गृह उद्योग के संचालक श्री अमर नाथ मिश्र जो कि एक कवि भी है , उनका कहना है की पाग बचाउ अभियान लोगो को एक कड़ी में जोड़ने का काम कर रहा है। इस कवि गोष्ठी में उक्त कवियों के संग श्री आनंद मोहन झा , मदन मुस्कान , मुकुंद मयंक , श्याम झा , नीरज झा , रौशन मैथिल, नितीश कर्ण, ऱणधीर चौधरी एवं मिथिला स्टूडेंट यूनियन के कई अन्य सदस्य शामिल थे। इस पाग बचाउ अभियान की शुरू दिल्ली स्थित आई टी ओ के राजेंद्र भवन से पाग मार्च करके किया गया जिसमे करीब 500 लोगो ने अपने सिर पर मिथिला पाग पहनकर दुनिया को पाग संस्कृति का सन्देश दिया। इस अनोखे कार्यक्रम की काफी प्रशंसा की गई। मिथिलालोक फाउंडेशन " पाग फॉर ऑल" का नारा देकर जातीय भिन्नता में एकता लाने का एक भगीरथी प्रयास कर रही है, जो सराहनीय है।

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