नयी दिल्ली 15 अगस्त, न्यायाधीशों की नियुक्ति के मुद्दे पर सरकार और न्यायपालिका में चल रही तकरार के बीच उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस संबोधन में न्यायाधीशों की नियुक्ति के मुद्दे का जिक्र नहीं किये जाने से उन्हें निराशा हुई है। न्यायमूर्ति ठाकुर ने यहां उच्चतम न्यायालय में ध्वजारोहण के बाद कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री न्यायिक प्रणाली में गतिरोध से जुड़े मुद्दों विशेष रूप से न्यायाधीशों की नियुक्ति के बारे में कुछ कहेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे का जिक्र नहीं किया लेकिन वह अनुरोध करते हैं कि सरकार न्यायपालिका और विशेष रूप से न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले पर ध्यान दे और खाली पदों को भरें। उन्होंने कहा कि लोगों को देश की न्यायिक प्रणाली से बहुत अपेक्षाएं हैं और उनकी अपील है कि जनता को न्याय दिलाने के लिए प्रधानमंत्री कुछ कदम उठायें। अदालताें में लंबित मामलों की संख्या इतनी अधिक हो गयी है कि उनका निपटारा करना बेहद कठिन होता जा रहा है। मुख्य न्यायाधीश ने न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी पर हाल ही में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि सरकार इस बारे में निर्णय नहीं ले रही है। न्यायालय ने अटर्नी जनरल को निर्देश दिया था कि वह इस बारे में सरकार से बात करें। न्यायमूर्ति ठाकुर ने इस वर्ष अप्रैल में भी एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की मौजूदगी में भावुक होते हुए कहा था कि शीर्ष अदालतों में लंबित मामलों की संख्या 21000 से बढकर 40000 तक पहुंच गयी है और अदालतें इस बोझ के नीचे दबी जा रही हैं।
मंगलवार, 16 अगस्त 2016
मोदी का न्यायाधीश नियुक्ति का जिक्र न करना निराशाजनक: ठाकुर
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