तमाम योजनाएं, ढ़ेर सारे वादे और दावे भी बहुत से। लेकिन इनमें दम कितना है, शायद लोग अच्छी तरह से परिचित हैं। उत्तर प्रदेश की प्रयागनगरी इलाहाबाद में भूख से तड़पकर एक 70 साल के वृद्ध की मौत हो गई। लेकिन डीएम आंद्रा वाम्सी डोसा फेस्टिवल में कुछ इस तरह से मशगूल रहे कि उन्हें इस मामले की जांच की फुर्सत ही नहीं मिली।
तीन दिन से घर पर नहीं जला था चूल्हा
सोराव तहसील के अंतर्गत आने वाले भोपतपुर अब्दल गांव निवासी राम किशोर गुप्ता की 6 अगस्त को मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक मृतक भीख मांगकर अपने परिवार का गुजारा करता था। बताया जा रहा है कि राम किशोर गुप्ता के यहां तीन दिन से खाना नहीं बना था। और बारिश की वजह से मृतक वृद्ध भीख भी मांगने नहीं जा पा रहा था।
परिस्थितियों ने बनाया भिखारी
मृतक वृद्ध के घर में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी हैं। कुछ दिन पहले ही उसने अपनी जमीन बेंचकर पक्का मकान बनवाया था और उसी के बगल में बेटे ने दुकान भी खोली थी। लेकिन दुकान में घाटा लगने की वजह से बंद हो गई। जिसकी वजह से भीख मांगकर गुजारा करना पड़ रहा था।
प्रशासन ने कहा अस्थमा से हुई मौत
मीडिया में मामले की सुगबुगाहट के साथ ही जिला प्रशासन इसे दबाने में जुट गया है। एसडीएम सोराव ब्रजेन्द्र दुबे ने कहा कि राम किशोर की मौत भूख से नहीं अस्थमा से हुई है। इतना ही नहीं उसके परिवार में अन्न की कमी नहीं था और उन्हें कोटेदार से हर महीने 30 किलो अनाज भी मिलता था। इसके अलावा वह सरकार के कई अन्य योजनाओं का भी लाभ उठा रहा था।
सूबे में लगातार बढ़ रही आपराधिक घटनाओं, भूख से मौत ने शासन की नीति, नियत पर उंगलियां उठा दी हैं। बहरहाल अब देखना यह है कि प्रशासन की इस लापरवाही पर किस तरह की कार्यवाही की जाती है, मृतक के परिवार को सूबे की सरकार क्या मदद मुहैया कराती है।
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