- कारपोरेट घरानों के लिए पैसा उगाहने के लिए उठाया गया है कदम, तुगलकी फरमान को अविलंब वापस ले सरकार.
- राजधानी पटना सहित पूरे राज्य में किया गया विरोध
पटना 14 नवम्बर 2016, 500 और 1000 के नोटों के विमुद्रीकरण अथवा नोटबंदी के खिलाफ भाकपा-माले, आइसा और इनौस कार्यकर्ताओं ने आज राज्यव्यापी विरोध दिवस के तहत पूरे राज्य में मोदी सरकार का पुतला फूंका, प्रतिरोध मार्च आयोजित किये और कुछेक जगहों पर धरना भी दिया. राजधानी पटना सहित आरा, अरवल, सिवान, गोपालगंज, दरभंगा, जहानाबाद, बेतिया, मुजफ्फरपुर आदि जगहों पर यह कार्यक्रम लागू किया गया. पटना में रेडियो स्टेशन गोलबंर से प्रतिरोध मार्च निकाला गया और जेपी गोलबंर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पुतला फूंका गया. इस मार्च का नेतृत्व पटना नगर भाकपा-माले की राज्य कमिटी सदस्य नवीन कुमार, वरिष्ठ नेता पन्नालाल, मुर्तजा अली, अशोक कुमार, खेमस नेता दिलीप कुमार, आइसा के बिहार राज्य अध्यक्ष मोख्तार, आइसा के राज्य सह सचिव आकाश कश्यप, संतोष आर्या, रामजी यादव, हैदर, रिंचू आदि कर रहे थे. मार्च के दौरान प्रदर्शनकारी नोटों के विमुद्रीकरण का तुगलकी फरमान वापस लो, आर्थिक आपातकाल थोपना बंद करो, आम लोगों की जेब पर डाका डालना बंद करो, कारपोरेट दलाली मुर्दाबाद आदि के नारे लगा रहे थे.
वक्ताओं ने पुतला दहन के बाद आयोजित नुक्कड़ सभा को संबोधित करते हुए कहा कि नोटों के विमुद्रीकरण के चलते आज देश में आर्थिक आपातकाल की स्थिति पैदा हो गयी है. उन्हांने कहा कि श्रमिक वर्ग, आम लोगों और छोटे व्यवसायी वर्ग का जीवन तो पूरी तरह अस्तव्यस्त हो चुका है और इसके तत्काल हल होने की संभावना भी नहीं है। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी ने विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने की बातें कही थीं, लेकिन आज तक एक पाई नहीं आ सकी. उलटे अब गरीबों की जेब पर डाका डाल रही है. कालाधन वापसी की आड़ में कारपोरेट घरानों को पैसा दिलाने के लिए सरकार मुद्रा का गंभीर संकट झेल रहे सरकारी बैंकों को नया जीवन प्रदान करने की कोशिश कर रही है. कारपोरेट घरानों का सवा लाख करोड़ रुपया का कर्ज पहले ही माफ किया जा चुाक है और उनपर करीब 6 लाख करोड़ रुपये अभी और डुबंत कर्ज है. लाखों-करोड़ों के कर्ज के कारण आज देश में यह स्थिति पैदा हुई है। कारपोरेटों की संपत्ति जब्त कर पैसा वसूलने की बजाय सरकार जनता की गाढ़ी कमाई पर डाका डाल कर इस समस्या का हल करना चाह रही है।
माले नेताओं ने कहा कि नोटों के विमुक्तीकरण के जरिए ऐसे सभी लोगों को या तो बाजार से बाहर धकेल दिया जाएगा अथवा उन्हें आर्थिक पुनर्गठन के नये रूप के हवाले कर दिया जाएगा, जिसमें बड़ी मछलियों द्वारा छोटी मछलियों को हमेशा से निगला जाता रहा है। उन करोड़ों भारत वासियों के लिए जो बैंकिंग नेटवर्क से पूरी तरह कटे हुए न होकर भी उसके हाशिये पर ही रहते हैं, यह कदम केवल तात्कालिक परेशानी पैदा करने वाला ही नहीं वरन् उनकी आर्थिक असुरक्षा को बढ़ाने एवं और उन्हें ज्यादा कमजोर बनाने वाला कदम है। उन्होंने आगे कहा कि इसलिए हमारी पार्टी इस तुगलकी फरमान को अविलंब वापस करने की मांग करती है. आरा में पार्टी की राज्य कमिटी सदस्य राजू यादव, दिलराज प्रीतम आदि युवा नेताओं के नेतृत्व में प्रतिरोध मार्च निकाला गया.

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें