भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि 500 और 1000 के नोटों के विमुद्रीकरण से श्रमिक वर्ग, आम लोगों और छोटे व्यवसायी वर्ग का जीवन अस्तव्यस्त हो चुका है। इसके तत्काल हल होने की संभावना भी नहीं है। यह कालाधन वापसी की आड़ में मुद्रा का गंभीर संकट झेल रहे सरकारी बैंकों को नया जीवन प्रदान करने की कोशिश है, ताकि कारपोरेट घरानों को फिर से पैसा दिया जा सके। कारपोरेट घरानों पर सवा लाख करोड़ रुपये डुबंत कर्ज सहित लाखों-करोड़ों के कर्ज के कारण यह स्थिति पैदा हुई है। उनकी संपत्ति जब्त कर पैसा वसूलने की बजाय सरकार जनता की गाढ़ी कमाई पर डाका डाल कर इसे हल करना चाह रही है। कारपोरेट घरानों ने पहले से ही लाखों करोड़ रुपये पुनः कर्ज के लिए बैंकों में लाइन लगा रखी है। इस विमुक्तीकरण का मकसद ऐसे सभी लोगों को या तो बाजार से बाहर धकेल देना है, अथवा उन्हें आर्थिक पुनर्गठन के नये रूप के हवाले कर देना है जिसमें बड़ी मछलियों द्वारा छोटी मछलियों को हमेशा से निगला जाता रहा है। उन करोड़ों भारत वासियों के लिए जो बैंकिंग नेटवर्क से पूरी तरह कटे हुए न होकर भी उसके हाशिये पर ही रहते हैं, यह कदम केवल तात्कालिक परेशानी पैदा करने वाला ही नहीं वरन् उनकी आर्थिक असुरक्षा को बढ़ाने एवं और उन्हें ज्यादा कमजोर बनाने वाला कदम है। इसलिए हमारी पार्टी इस तुगलकी फरमान को अविलंब वापस करने की मांग करती है. विमुद्रीकरण का तुगलकी फरमान वापस लेने, जनजीवन व अर्थव्यवस्था से खिलवाड़ बंद करने, कालाधन के नाम पर गरीबों की जेब पर डाका डालना बंद करने, आर्थिक आपातकाल वापस लेने और कारपोरेट दलाली बंद करने की मांग पर कल 14 नवम्बर को इसके खिलाफ राज्यव्यापी विरोध दिवस का कार्यक्रम रखा गया है। पुतला दहन, विरोध मार्च आदि रूपों में इसे आयोजित किया जायेगा!
मास्टर जगदीश की पत्नी कमलेश्वरी कंुवर को भाकपा-माले ने दी श्रद्धांजलि
भाकपा-माले की बिहार राज्य कमिटी ने 1970 के दशक में उठ खड़े हुए भोजपुर आंदोलन के शिल्पीकार मास्टर जगदीश की पत्नी कमलेश्वरी कुंवर के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है और उन्हंे भावभीनी श्रद्धांजलि दी है.
अपने शोक संदेश में माले ने कहा है कि मास्टर जगदीश की शहादत के बाद कमलेश्वरी जी भाकपा-माले और गरीबों के आंदोलन से लगातार जुड़ी रहीं और वे अंत-अंत तक सक्रिय थीं. वे हमारे लिए प्रेरणा स्रोत हैं. उनके निधन की खबर मिलते ही माले विधायक सुदामा प्रसाद और जिला सचिव काॅ. जवाहर लाल ंिसह उनके गांव एकबारी पहुंच गये ंहैं.

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