भाकपा ने बिहार की न्यायिक सेवाओं में 50 प्रतिशत आरक्षण का स्वागत किया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

भाकपा ने बिहार की न्यायिक सेवाओं में 50 प्रतिशत आरक्षण का स्वागत किया

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पटना, 30 दिसम्बर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिवमंडल ने बिहार की न्यायिक सेवाओं में 50 प्रतिषत आरक्षण लागू करने के राज्य मंत्रिमंडल के निर्णय का स्वागत करते हुए इसे सामाजिक न्याय की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण कदम बताया है। स्मरणीय है कि राज्य मंत्रिमंडल ने बिहार की न्यायिक सेवाओं के लिए होने वाली नियुक्तियों में 50 प्रतिषत आरक्षण लागू करने का प्रावधान किया है। नई व्यवस्था में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का आरक्षण पूर्व की भांति क्रमषः 16 प्रतिषत और 1 प्रतिषत बरकरार रहेगा जबकि अतिपिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण सीमा पूर्व के 10 प्रतिषत से बढ़ाकर 21 प्रतिषत कर दी गयी है, साथ ही पिछड़ा वर्ग को भी आरक्षण के दायरे में शामिल करते हुए उसके लिए 12 प्रतिषत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। इस प्रकार बिहार राज्य की न्यायिक सेवा में आरक्षण लागू करने वाला दसवां राज्य बन गया है। 50 प्रतिषत आरक्षण संबंधी नये प्रावधान बिहार उच्चन्यायिक सेवा (संषोधन) नियमावली 2016 और बिहार असैनिक सेवा (न्याय शाखा) भत्र्ती संषोधन नियमावली 2016 में संषोधन करते हुए किया गया है। 
उक्त जानकारी देते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने बताया कि अब तक बिहार में न्यायिक सेवा नियुक्ति प्रक्रिया 1955 और 2005 की नियमावली से संचालित होती रही थी जिसे 2008 में राज्य सरकार ने संषोधित कर पिछड़े और अत्यंत पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान करते हुए संषोधित किया। परंतु उसे उच्च न्यायालय ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि विहित प्रक्रिया के तहत नियमावली संषोधन से पूर्व उससे परामर्ष नहीं किया था। राज्य सरकार ने उसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी जिसपर फैसला देते हुए उच्चतम न्यायालय ने अगस्त 2016 में कहा कि सरकार आरक्षण लागू करने से पूर्व हाई कोर्ट से परामर्ष कर ले। उसी की रोषनी में राज्य सरकार ने इस बार कैबिनेट की मंजूरी से पहले पटना उच्च न्यायालय और बिहार लोक सेवा आयोग से परामर्ष करने के उपरांत राज्य की न्यायिक सेवाओं (लोअर जुडिसियरी) में आरक्षण पर सहमति ले ली। इस प्रकार अब राज्य में अपर जिला न्यायाधीष और मंुसिफ मजिस्ट्रेट के 1075 पदों पर नियुक्ति में नई आरक्षण व्यवस्था लागू होने से सामाजिक न्याय की प्रक्रिया और आगे बढेगी जिसकी बिहारवासियों को लंबे काल से प्रतीक्षा थी । 

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