- पटना सहित सिवान, आरा, अरवल, जहानाबाद, दरभंगा आदि जगहों पर जनअदालत/जवाब दो मार्च का आयोजन.
- जनअदालत में निर्माण मजदूर, छात्र, सब्जी विक्रेता, घरेलू महिलाओं, टेंपो चालकों ने सुनाई अपनी व्यथा.
- कोरस ने ‘अंधेर नगरी रिटन्र्स’ नुक्कड़ नाटक के जरिए नोटबंदी की असलियत उजागर की.
- पटना विश्वविद्यालय गेट पर आइसा की छात्र अदालत.
पटना 30 दिसबंर 2016, नोटबंदी से मची तबाही के 50 दिन पूरे होने पर आज भाकपा-माले ने राज्यव्यापी कार्यक्रम आयोजित किया. राजधानी पटना के कंकड़बाग में जनअदालत का आयोजन किया गया, तो आरा, सिवान, जहानाबाद आदि जगहों पर ‘जवाब दो’ मार्च आयोजित किया गया. अरवल व दरभंगा में भी जनअदालतों का आयोजन किया गया. पटना विश्वविद्यालय गेट पर आइसा ने छात्र अदालत लगायी. जनअदालतों के माध्यम से माले ने मोदी सरकार से इस्तीफे की भी मांग की है. कंकड़बाग टेंपो स्टैंड पर आयोजित जनअदालत में समाज के विभिन्न हिस्से के लोगों ने अपनी व्यथा रखी. सांस्कृतिक संगठन कोरस की प्रस्तुति ‘अंधेर नगरी रिटन्र्स’ से जनअदालत की शुरूआत हुई. नुक्कड़ नाटक ने नोटबंदी के असली कारणों को सहज अंदाज में जनता के समक्ष पेश किया. इस नुक्कड़ नाटक में मुख्य भूमिका समता राय, प्रशांत, राहुल, युसूफ आदि ने निभाई है.
तत्पश्चात जनअदालत की कार्रवाई की विधिवत शुरूआत हुई. ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले 50 दिन तबाही, बर्बादी और देश को पीछे धकेलने के दिन रहे हैं. उन्होंने कहा कि नोटबंदी का फैसला गरीबों, खासकर महिलाओं के लिए भारी आपदा साबित हुआ. नोटबंदी से काला धन, जाली नोट और आतंकवाद पर रोक लगने के दावे बिल्कुल झूठे साबित हो चुके हैं. इसने गरीबों की आजीविका के साधन बंद कर दिये हैं, यहां तक कि रोज का दाल-भात भी मुश्किल हो गया है. जो थोड़ी सी निजता और आर्थिक स्वायत्तता महिलाओं को हासिल थी, उसे भी खत्म कर दिया गया. यह पूरी तरह से आम जनता, गरीब-मजदूर, किसान, छोटे व्यवसायियों के खिलाफ और औद्योगिक घराने के हित में उठाया गया कदम है.
ऐक्टू के राज्य सचिव व माले राज्य कमिटी सदस्य रणविजय कुमार ने कहा कि नोटबंदी ने मजदूर व मेहनतकश वर्ग और देश की अर्थव्यस्था पर बेहद नकारात्क असर डाला है. आज पूरे देश में शहर से गांव की ओर उल्टा पलायन हो रहा है. रोजगार छीन जाने की वजह से बाहर के प्रदेशों में काम करने वाले मजदूर बड़ी संख्या में बिहार वापस लौट रहे हैं. उनके परिवार के सामने जीवन-मरण का संकट उपस्थित हो गया है. इसकी वजह से मजदूरी दर में भी भारी गिरावट आयी है. न्यूनतम मजदूरी कानून मजाक बन गया है. उधार में काम और काम के अभाव में कम मजदूरी पर काम और यहां तक कि कैश की जगह वस्तु की मजदूरी नई परिघटना बन गयी है. ऐसी विकट परिस्थति उत्पन्न करने के लिए पूरी तरह से मोदी सरकार की सनक भरी नीतियां जिम्मेवार हैं. नोटबंदी के जरिए गरीबों पर जहां एक तरफ हमला किया गया है, वहीं दूसरी ओर पूंजीपतियों के लिए सरकार पैसा जुटाने में लगी है.
कर्मचारी नेता रामबलि प्रसाद ने कहा कि मोदी ने कहा था कि अगर स्थिति सामान्य नहीं हुई तो देश की जनता उन्हें चैराहे पर जो भी सजा देगी, उसे भुगतने को वह तैयार हैं. अब यह साफ हो चुका है कि मोदी ने जनता से भारी गद्दारी की है और देश की जनता को लंबे समय के लिए बेरोजगारी के भारी संकट में डाल दिया है. देश के अर्थतंत्र को भी भारी नुकसान पहुंचा है. इसलिए हम सबको ‘मोदी हटाओ-रोटी बचाओ’ का नारा बुलंद करना होगा. जनअदालत में ऐपवा नेत्री अनुराधा देवी, सीपीआई नेता सुमंत कुमार, सब्जी विक्रेता सुरेश मेहता, निर्माण मजदूर श्याम सवा, आइसा नेता सुधीर कुमार, बीएन काॅलेज के छात्र प्रशांत व राहुल आदि ने भी अपने वक्तव्य रखे.
सभा का संचालन पार्टी की राज्य कमिटी सदस्य नवीन कुमार ने किया. जबकि मौके पर पटना नगर के सचिव अभ्युदय, पार्टी नेता नसीम अंसारी, मुर्तजा अली व अशोक कुमार, पन्नालाल सहित इलाके के सैकड़ों निर्माण मजदूर, फुटपाथ दुकानदार, टेंपो चालक व आम जनता शामिल थी. आइसा ने आयोजित की छात्र अदालत: वहीं, छात्र संगठन आइसा ने पटना विश्ववि़द्यालय गेट पर छात्र अदालत का आयोजन किया और नोटबंदी के जरिए मोदी सरकार पर देश को पीछे धकेलने का आरोप लगाया. हिरावल के संयोजक संतोष झा ने नोटबंदी पर आधारित कई रचनाओं का गान किया.
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