विशेष : लोकतंत्र की कुरूपता का सुन्दर सच। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 31 दिसंबर 2016

विशेष : लोकतंत्र की कुरूपता का सुन्दर सच।

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प्रद्योत कुमार,बेगूसराय। इंग्लैंड के राजनीति शास्त्र के बहुत बड़े विद्वान प्रोफेसर "लास्की" ने कहा है कि,"लोकतंत्र तुम बहुत कुरूप हो फिर भी मैं तुम्हें प्यार करता हूँ।"क्यूंकि शासन तंत्र चलाने के लिए इससे अच्छी कोई व्यवस्था नहीं है।राजतन्त्र में व्यक्तिवादी परम्परा का शासक होता है,तनाशाही तंत्र में व्यक्ति की कठोरता का शासक होता है लेकिन लोकतंत्र में शासक नहीं सेवक होता है।राजतंत्र चलता है डर और डंडा से लेकिन लोकतंत्र चलता है विमर्श,बहस और वोट से,लोकतंत्र में समिति शासन करती है,राजतन्त्र में व्यक्ति शासन करता है।लोकतंत्र में बहुत कमी है,खामियां हैं लेकिन सबसे बेहतर शासकीय व्यवस्था है,लेकिन इस व्यवस्था में अभद्र हो जाना या असंवैधानिक बातों का नेताओं के द्वारा नेताओं के लिए प्रयोग करना या एक दूसरे पर अकर्णप्रिय कटाक्ष करना अशोभनीय अवश्य है लेकिन ये नेताओं को प्रिय है सिर्फ इसलिए कि ये उनकी बिरादरी की बात है,अगर इसी तेवर से किसी आम लोगों ने इस तरह की ग़ुस्ताख़ी की होती तो शायद किसी के द्वारा उसे पुलिस की नोटिस ज़रूर मिल गई होती।

वैसे भी,एक बात उतना ही सच है कि एक आम आदमी की बात वहां तक पहुंचेगी ही नहीं क्योंकि पहुंचाने वाला तंत्र पैसे लेकर बिकाऊ तांत्रिक हो चुका है,हालांकि वो तंत्र भी लोकतंत्र का एक अहम हिस्सा है लेकिन उनकी भाषा अलग हो चुकी है। वर्तमान लोकतंत्र में राजनीति का लगातार गिरता हुआ स्तर क्या भविष्य तय करेगा कहना बड़ा ही मुश्किल है।सिकुड़ता हुआ राजनीतिक दायरा किसके लिए सही कार्य कर रहा है या करेगा ये तय करना नामुमकिन हो गया है लेकिन हाँ इतना तो तय है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था जिसके लिए है वो उस व्यवस्था से बहुत ही दूर होता जा रहा है यह एक गंभीर सवाल खड़ा करता है लोकतंत्र की शासकीय सुंदरता पर।पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने विधान परिषद परिसर में तत्कालिन मुख्यमंत्री नितीश कुमार के संदर्भ में जो बयान दी हैं वो काफी शर्मनाक और निंदनीय है,इन नेताओं को अपनी गरिमा का  कोई ख़याल नहीं है।स्तरहीन लोगों का राजनीति में दस्तक देना ही गिरते हुए राजनीति की पहचान है शायद यही है लोकतंत्र की कुरूपता लेकिन लव यू लोकतंत्र।

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