न्याय एवं समतामूलक समाज की स्थापना जरूरी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 31 दिसंबर 2016

न्याय एवं समतामूलक समाज की स्थापना जरूरी

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नई दिल्ली, कांस्टीट्यूशन क्लब के डिप्टी स्पीकर हाॅल में एक ओर नोटबंदी पर गर्मागर्म बहस छिड़ी हुई थी तो दूसरी ओर भारतीय संत परम्परा के शीर्षस्थ संतपुरुष परमार क्षत्रियोद्धारक गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् विजय इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी की पुण्यतिथि पर उनके अवदानों की चर्चा को लेकर राष्ट्र एवं समाज को एक नई दिशा देने के प्रयास किये जा रहे थे। सुखी परिवार अभियान के प्रणेता गणि राजेन्द्र विजय की सन्निधि में देश के सम्मुख उपस्थित समस्याओं को लेकर सकारात्मक चर्चा का वातावरण बना। गणि राजेन्द्र विजय ने कहा कि वर्तमान में देश जिन जटिल परिस्थितियों से जूझ रहा है, इन हालातों में शांति एवं अहिंसा जैसे मूल्यों की स्थापना जरूरी है। उन्नत व्यवहार से जीवन को बदला जा सकता है और इसके लिए आचार्य इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी की शिक्षाओं एवं उपदेशों की जीवन-निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका है। गणि राजेन्द्र विजय ने गुरु इन्द्र के द्वारा साम्प्रदायिक सौहार्द, राष्ट्रीय एकता एवं समतामूलक समाज की स्थापना के लिए किये गये प्रयत्नों की चर्चा करते हुए कहा कि संसदीय अवरोध जैसी घटनाएं लोकतंत्र को कमजोर बनाती है। उन्होंने संविधान निर्माता डाॅ. अ म्बेडकर की स्मृति करते हुए कहा कि उनके न्याय एवं समतामूलक समाज के संकल्प को आकार देने से ही लोकतंत्र मजबूत होगा। गुरु इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि कर के उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। 

दलित विचारक एवं चिंतक डाॅ. बनारसी दास ने कहा कि समतामूलक समाज की स्थापना के लिए नैतिकता जरूरी है। दलित एवं आदिवासियों को चुनाव जीतने के हथियार के रूप में इस्तेमाल करना हमारे राजनीति की एक बहुत बड़ी विसंगति है। सत्ता और संपदा के लालच में जनतंत्र के आदर्शों को ताक पर रखा जा रहा है। मेरी दृष्टि में वही लोकतंत्र अधिक सफल होता है जहां आत्मतंत्र का विकास हो, नैतिकता और चरित्र का विकास हो अन्यथा जनतंत्र में भी एकाधिकार, अव्यवस्था और अराजकता की स्थितियां उभर सकती हैं। समारोह के मुख्य वक्ता श्री राजबहादुर ने दलित एवं आदिवासी उत्थान की आवश्यकता व्यक्त करते हुए कहा कि अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक की राजनीति देश के लिए घातक है। जाति व धर्म के आधार पर इंसान को बांटने की नहीं जोड़ने की जरूरत है। ऐसे ही विचारों पर बाबासाहेब ने बल दिया था। इस अवसर पर पत्रकार एवं साहित्यकार श्री ललित गर्ग ने शहीदों की स्मृति में आयोजित इस समारोह में आह्वान किया कि हमारे इन मूक नायकों के लिए ऐसी परम्परा स्थापित हो कि जहां भी वे दिखायी दें, देशवासी उन्हें झुककर नमन करें। उन्होंने सुखी परिवार अभियान एवं गणि राजेन्द्र विजय के बारे में जानकारी प्रदत्त करते हुए कहा कि गणिजी समतामूल अहिंसक समाज-निर्माण को साकार करने के लिए तत्पर हैं। कार्यक्रम का संयोजन पं. नरेन्द्र शर्मा ने करते हुए आर्थिक एवं सामाजिक समता को जरूरी बताया। अनेक वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त करते हुए न्याय एवं संतुलित समाज की स्थापना के लिए राजनीति के अपराधीकरण पर नियंत्रण को जरूरी माना।

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