नयी दिल्ली 26 जनवरी, जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में एक मिशन के दौरान तीन आतंकवादियों को अकेले ही मौत के घाट उतारने तथा अपने साथियों की जान बचाकर शहादत को गले लगाने वाले हवलदार हंगपन दादा को आज मरणोपरांत शांतिकाल का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र प्रदान किया गया। राजपथ पर गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से उनकी पत्नी चासेन लवांग दादा ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। पिछले साल 26 मई को कुपवाड़ा के नौगाम सेक्टर सेना के ठिकानों का आपसी संपर्क तोड़ने के बाद भाग रहे आतंकवादियों का पीछा करने और उन्हें पकड़ने की जिम्मेदारी असम रेजीमेंट/35वीं बटालियन के हवलदार हंगपन दादा और उनकी टीम को सौंपी गयी थी। पहले कमांडो रह चुके श्री दादा अपने विवेक और समझ का परिचय देते हुये ऊँचाई वाले दुर्गम बर्फीले क्षेत्र में इस तेजी से आगे बढ़े कि आतंकवादियों के बच निकलने का रास्ता बंद हो गया। इसके बाद आतंकवादियों ने उनके दल पर ताबड़तोड़ गोलीबारी शुरू कर दी। उन्होंने तुरंत निर्णय लेते हुये अपनी सुरक्षा की परवाह किये बिना एक ओर सरक कर पत्थरों और चट्टानों के पीछे छिपे आतंकवादियों के काफी करीब पहुँच गये जिसके कारण उनके साथियों की जान बच गयी। उन्होंने नजदीकी गोलीबारी में दो आतंकवादियों को मार गिराया। इसमें वह भी गंभीर रूप से घायल हो गये। लेकिन, इसके बावजूद उन्होंने बचे हुये आतंकवादियों का पीछा किया। इस कार्रवाई में उनका सामना तीसरे आतंकवादी से हुआ। शहादत को गले लगाने से पहले हवालदार हंगपन दादा ने उस आतंकवादी को भी मार गिराया। मिशन दल के अन्य सदस्यों ने चौथे आतंकवादी को भी ढेर कर दिया। उनके अदम्य साहस के लिए श्री दादा को आज मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाजा गया।
गुरुवार, 26 जनवरी 2017
तीन आतंकवादियों को मार गिराने वाले हंगपन दादा को अशोक चक्र
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