उत्तर प्रदेश : यूपी में ‘काम बोलता‘ है या ‘कारनामा‘ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


बुधवार, 15 फ़रवरी 2017

उत्तर प्रदेश : यूपी में ‘काम बोलता‘ है या ‘कारनामा‘

कुछ घपले-घोटाले व कमीशन के लिए किए गए विकास कार्यो को छोड़ दिए जाएं तो यूपी में पांच साल में सिर्फ और सिर्फ अपराध यानी लूट, हत्या, डकैती, बलातकार, दंगे, अपहरण के सिवाय कुछ भी नहीं हुआ है। इसकी गवाही खुद पुलिस के रोजनामचे ही दे रहे हैं। खास यह यह है कि इन वाकयों में या तो सपा के मंत्री-विधायक या अन्य जनप्रतिनिधि शामिल है या वाकयों को अंजाम देने वालों पर इनका संरक्षण है। ताजा मामला सुल्तानपुर का है जहां सपा विधायक अरुण कुमार वर्मा पर हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ है। मनमाफिक खबर न छापने पर पत्रकार को जिंदा जलाकर मार डालने की धमकी के मामले में राज्यमंत्री राधेश्याम सिंह के खिलाफ रपट दर्ज है। अगर, अखिलेश यादव का काम बोलता है, के नारे का सच यही है तो बड़ा सवाल यही है कि क्या यूपी में विकास के दावों के बीच लोकतंत्र पर गुंडातंत्र हावी है? यूपी में काम बोलता है या कारनामा। क्या दागी विधायकों, मंत्रियों, माफियाओं, भ्रष्ट पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ यूपी का विकास करेंगे अखिलेश यादव 





akhilesh-work-in-uttar-pradesh
बेशक, इन वाकयों के बीच 11 फरवरी को मतदान खत्म होते ही बागपत में एक मतदाता के घर के दीवार पर लिख दिया गया कि बीजेपी को वोट देना का अंजाम भुगतान होगा, क्योंकि अखिलेश यादव फिर से मुख्यमंत्री बन रहे हैं। फिरहाल वह मुख्यमंत्री बनेंगे या नहीं, यह तो 11 मार्च को पता चलेगा लेकिन पूरे यूपी में दहशत का माहौल है। यह सब तब हो रहा है जब यूपी विधानसभा चुनाव पूरे शवाब पर है। लाॅ एंड आर्डर को लेकर प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रही भाजपा व बसपा को चुनाव ऐलान के बाद हुई घटनाओं ने और आक्रामक होने का मौका दिया है। खास बात यह है कि बिजनौर से सुल्तानपुर तक हो रही घटनाओं का असर चुनावी मैदान व मतदाताओं में दिखने लगा है। 4 जनवरी को चुनाव कार्यक्रमों का निर्धारण होने के बाद राजधानी लखनउ सहित सूबे के कई जनपदों में बलातकार, लूट, हत्या, डकैती की घटनाओं की बाढ़ आ गयी है। जबकि आयोग का दावा था कि उसके कमान संभालने के बाद हालात बदलेंगे। हालांकि आयोग अब तक अभी अपना हनक नहीं दिखा सका है। असर यह है कि अब इन घटनाओं को सियासत की हाड़ी में पकाने की कोशिशे शुरु हो चुकी है। 

हौसलाबुलंद सपा संरक्षित गुंडे, माफिया, डकैत, बलातकारी इस कदर घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं कि उन्हें चुनाव आयोग का भी खौफ नहीं है। लखनउ में श्रवण हत्याकांड हो या मेरठ में व्यापारी की हत्या का मसला बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाने के लिए पूरा दम लगा दिया है। श्रवण साहू हत्याकांड पर जनता की निगाहे इसलिए भी है क्योंकि इसमें लखनउ पुलिस की भूमिका पर सीधे सवाल उठे हैं। धमकी मिलने के बाद हत्या होने से लाॅ एंड आर्डर संदेह के घेरे में हैं। दुसरी ओर नोटबंदी से नाराज व्यापारियों को वापस लाने के लिए बीजेपी ने इसे सुरक्षा के सवाल से सीधे जोड़ दिया है। मेरठ में भी अमित शाह ने अपने पैदल मार्च को भी इससे जोड़ा था। सुरक्षा का सवाल आम आदमी से सीधे जुड़ा है इसलिए यह अपील भी करता है। वेस्ट यूपी में जाटों की नाराजगी की खबरों के बीच बिजनौर में जाट युवक की हत्या ने भी समीकरण बदले हैं। पहले चरण की वोटिंग के एक दिन पहले पेदा में विशाल की हत्या कर दी गयी। उसे बचाने में भी पिता भी गंभीर रुप से घायल हो गए। इस घटना को साम्प्रदायिक रंग इसलिए मिल गया क्योंकि दो अलग समुदायों के लोग इसमें शामिल थे। साथ ही पिछले साल 16 सितम्बर को पेदा में ही लड़की से छेड़छाड़ के बाद फैले साम्प्रदायिक तनाव से भी उसे जोड़ा जा रहा है। इस मामले में बीजेपी नेता चैधरी जेल में हैं। बीजेपी ने बिजनौर के सदर सीट से उनकी पत्नी शुचि चैधरी को टिकट दिया है। 

12 फरवरी की रात सुल्तानपुर के चोरमा में घर के पास ही गैंगरेप पीडिता का शव मिला था। इस मामले में पीडिता लड़की के परिवार ने जयसिंहपुर विधानसभा से चुनाव लड़ रहे अखिलेश के चहेते एवं विधायक अरुण वर्मा चुनाव लड़ रहे है। नजदीकियां इतनी अधिक है कि अखिलेश यादव ने अपने प्रचार अभियान की शुरुवात आरोपी विधायक के क्षेत्र से ही की। बता दें कि साल 2013 में पीड़िता ने अरुण वर्मा समेत 8 लोगों पर गैंगरेप का आरोप लगाया था। इस मामले में आगामी 21 फरवरी को सुनवाई होनी थी। उसके पहले ही पीड़िता की हत्या कर दी गयी। पीड़िता के पिता के मुताबिक घटना से पहले घर के सामने से गुजरने वाले रास्ते से विधायक का काफिला गुजरा था। लेकिन, विधायक के मुताबिक ये सब राजनीतिक साजिश है। शुरुआती जांच के मुताबिक सुल्तानपुर के जयसिंहपुर इलाके के गांव चोरमा में लड़की की गला दबाकर कर हत्या की गई है। जबकि सत्ता के धौंस में पुलिस ने जांच में विधायक समेत तीन लोगों को क्लीनचिट दे दी थी। इसी की 21 फरवरी को सुनवाई होनी थी। दो महीने पहले ही हाईकोर्ट के आदेश पर मिली सुरक्षा भी पीड़िता से हटा ली गई थी। जबकि कोर्ट ने पुलिस को हिदायत दी थी कि अगर विवेचना मे कोई खामी नजर आई तो जांच सीबीआई को सौंप दी जाएगी। इस बीच कोर्ट ने रानी लक्ष्मीबाई सम्मान कोष से पीड़िता को 7 लाख रुपए सहायता राशि भी दिए जाने का आदेश भी दिया था। 

कोर्ट के आदेश पर सख्त सुरक्षा के बीच अन्य आरोप‍ियों के खिलाफ चल रहे विचारण में पीड़िता ने 27 मई 2016 के अपने पहले के कलम बंद बयान का समर्थन किया। इसमें उसने विधायक अरूण वर्मा का नाम लिया था। पीड़िता ने बयान में विधायक के अलावा पूनम यादव, धीरेंद्र, आशुतोष सिंह, मोनू खान, अंजुम खान, गुड्डू लाला और अनिता सिंह के भी घटना मे शामिल होने की बात कही। इसके बाद भी पुलिस ने जांच मे 2 फरवरी 2014 को विधायक अरूण वर्मा, पूनम यादव और धीरेंद्र का नाम निकाल दिया। बाकी लोगों के खिलाफ आरोपपत्र कोर्ट भेज दिया, जहां अपर सत्र न्यायाधीश सप्तम सुल्तानपुर की कोर्ट मे उनका विचारण चल रहा है। पीड़िता ने विधायक और उनके दो साथियों को मिली क्लीन चिट के खिलाफ प्रोटेस्ट पिटीशन दायर किया था। इस पर निचली अदालत ने अग्रिम विवेचना का आदेश दे दिया, जिस पर अमल नहीं हुआ। इसके बाद पीड़िता के पिता हाईकोर्ट गए। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूपी के अपराध को ही चुनावी मुद्दा बनाया है। सभाओं में मोदी ने कहा, यूपी सोने की चेन पहनकर घूमने वाली महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। जिस यूपी में हर दिन रेप, 12, 15, 17 हत्याएं होती हों, जेल में बंद लोग गैंग चला रहे हैं, जहां रोज निर्दोषों की हत्याएं, रेप, अपहरण होते हों, उसे आप अखिलेश के काम कहेंगे कि कारनामे। अगर यही रवैया रहा तो कुछ सालों में हिंदुस्तान का सबसे बड़े प्रदेश को गुंडों के हवाले कर दिया जाएगा। यूपी में पहले चरण का मतदान खत्म होने के बाद अब सूबे की जंग जीतने के लिए बड़े-बड़े दावों का दौर शुरू हो गया है। तय हो गया कि कितने ही गठबंधन कर लो, पाप धुलने वाले नहीं हैं। “अखिलेश यादव सरकार उत्तर प्रदेश का विकास करने की जगह गठबंधन करने में लगी है।” 11 फरवरी को सूबे के राज्यमंत्री राधेश्याम सिंह पर एक पत्रकार को जिंदा जलाने की धमकी देने के आरोप में रपट दर्ज है। पुलिस के अनुसार कुशीनगर की हाटा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री राधेश्याम सिंह के खिलाफ एक राष्ट्रीय दैनिक अखबार के स्थानीय प्रतिनिधि मनोज गिरि ने जिंदा जलाने की धमकी देने की शिकायत रपट दर्ज कराई है। गिरि का आरोप है कि मंत्री राधेश्याम सिंह ने उन्हें फोन करके कहा, ‘‘तुम मेरे बारे में गलत खबरें लिखकर अफवाहें फैलाते हुए जिससे मुझे चुनाव में नुकसान होगा। अगर तुम नहीं मानोगे तो 4 मार्च को अपने यहां मतदान के बाद तुम्हें मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दूंगा।’’

हो जो भी, यूपी में एक के बाद एक ताबड़तोड़ हो रही हत्याएं, लूटपाट, डकैती, योजनाओं में बंदरबाट, यादव सिंह जैसे भ्रष्ट अफसरों को बचाने, जवाहरबाग की तर्ज पर जगह-जगह जमीन हथियाने, सरकारी नौकरियों के भर्ती में धांधली एवं मानक में अनदेखी, न्याय के लिए सड़क पर उतरे लोगों को लाठियां, सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों की सपाई गुंडो द्वारा सरेराह कत्लेआम, पेड़ों पर फलों की जगह लटकती बहन-बेटियों की लाशे, हाईवे पर दरिंदगी का तांडव, करोड़ों-अरबों की लागत से बनी सड़कों का छह माह में ही उखड़ जाना, मुजफ्फरनगर समेत 200 से अधिक दंगों में कत्लेआम, आगजनी व खून-खराबा तथा आरोपियों को छोड़ निर्दोषों पर फर्जी मुकदमें दर्ज कर प्रताड़ना और कार्य पूरा हुए बगैर उद्घाटन की संस्कृति, दिन-रात बिजली की अघोषित कटौती, साफ पानी को तरसते शहर, ,अपनी किस्मत पर रोता बुंदेलखंड, बालीवुड के ठुमको पर झूमता सैफई, कश्मीर बनता कैराना ही अगर आपकी उपलब्धियों है तो कोई बात नहीं, लेकिन काम बोलता है, के नारे का जवाब देने के लिए जनता ब्रेशब्री से इंतजार कर रही है। मतलब साफ है आपकी नाकामियां ही आपको बेदखल करने के लिए काफी है।  



(सुरेश गांधी)

कोई टिप्पणी नहीं: