नयी दिल्ली,10 अप्रैल, उच्चतम न्यायालय ने भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सिंधु जल समझौते को रद्द करने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर आज सुनवाई करते हुए उसे खारिज कर दिया। यह जनहित याचिका दिल्ली के एक वकील एम एल शर्मा ने दायर की थी। श्री शर्मा ने याचिका में इस संधि को अंसवैधानिक बताते हुए इसे रद्द किए जाने की मांग की थी। श्री शर्मा ने इस संधि को गैरकानूनी बताते हुए उच्चतम न्यायालय से इसे रद्द करने की मांग की थी। गौरतलब है कि 19 सितंबर 1960 को सिंधु जल समझौता हुआ था। इस संधि पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। श्री शर्मा ने अपनी याचिका में कहा कि क्याेंकि इस संधि को भारत के राष्ट्रपति की ओर से स्वीकृति नहीं मिली थी इसलिए यह संधि रद्द की जानी चाहिए। इसके तहत सिंधु घाटी की छह नदियों का जल बंटवारा हुआ था। सिंधु बेसिन की नदियों को दो हिस्सों में बांटा गया था, पूर्वी और पश्चिमी भारत इन नदियों के उद्गम के ज्यादा करीब है और यह नदियां भारत से पाकिस्तान की ओर जाती हैं। मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह केहर की अध्यक्षता में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि श्री शर्मा की याचिका में कोई खास बात नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इस मामले में हम हस्तक्षेप नहीं करना चाहते।
सोमवार, 10 अप्रैल 2017
सिंधु जल समझौते को रद्द करने संबंधी याचिका खारिज
Tags
# देश
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
देश
Labels:
देश
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
संपादकीय (खबर/विज्ञप्ति ईमेल : editor@liveaaryaavart या वॉट्सएप : 9899730304 पर भेजें)

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें