शुंगलू समिति रिपोर्ट पर कांग्रेस ने सीबीआई की जांच और केजरीवाल का इस्तीफा मांगा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 6 अप्रैल 2017

शुंगलू समिति रिपोर्ट पर कांग्रेस ने सीबीआई की जांच और केजरीवाल का इस्तीफा मांगा

नयी दिल्ली 06 अप्रैल, आपराधिक मानहानि मामले में वकील की फीस को लेकर विवादों में घिरे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की दिक्कतें दिल्ली के तीनों निगमों के चुनावों से पहले सामने आयी शुंगलू समिति की रिपोर्ट में भ्रष्टाचार से जुड़े गंभीर आरोपों से और बढ़ सकती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने रिपोर्ट की केन्द्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) से जांच कराने की मांग करते हुए श्री केजरीवाल से इस्तीफे की मांग की है। श्री माकन ने कहा कि श्री केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार के विरोध में दिल्ली कांग्रेस कल काला दिवस मनायेगी और सभी वार्डों में पार्टी के कार्यकर्ता धरना-प्रदर्शन करेंगे।पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली सरकार के प्रशासनिक फैसलों में संविधान और प्रक्रिया से जुड़े नियमों के उल्लंघन की जांच के लिये पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) वी के शुंगलू की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की थी।श्री माकन ने सूचना के अधिकार के तहत इस रिपोर्ट को हासिल किया है और 101 पृष्ठाें की रिपोर्ट में समिति ने श्री केजरीवाल की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार पर सत्ता का बेजा इस्तेमाल कर कई फैसले करने पर सवाल उठाये है। श्री जंग ने पिछले साल सितम्बर में समिति का गठन किया था और कुल 440 निर्णयों से जुड़ी फाइलों को इसकी जांच के लिये सौंपा था। इनमें से 36 फाइलें निर्णय लंबित होने के कारण लौटा दी गयी थी जबकि 404 जांच के दायरे में थी। इस समिति के अन्य सदस्यों में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन गोपाल स्वामी और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त प्रदीप कुमार शामिल है। समिति का गठन पिछले साल 30 अगस्त को किया गया था।



श्री माकन ने आज संवाददाता सम्मेलन में रिपोर्ट का खुलासा करते हुए कहा कि इसमें बहुत गंभीर आरोप है । केजरीवाल सरकार पर रिपोर्ट में जमीन आवंटित , नौकरियों में भाई भतीजावाद और बिना सरकारी अनुमति के विदेशी दौरे पर सवाल उठाये गये है। उन्होंने कहा कि सरकार ने मंत्री के घर को गलत तरीके से पार्टी ऑफिस के तौर पर आवंटित कर दिया । सरकार के पास जमीन का अधिकार नहीं है तो उसके विधायक को किस कानून के तहत जमीन आवंटन किया गया। स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन की पुत्री को स्वास्थ्य मंत्रालय में पद देने के अलावा निकुंज अग्रवाल की नियुक्ति गलत तरीके से की गयी । मंत्री के साथ 42 लोगों को गलत तरीके से नौकरी दी गयी। 18 माह के दौरान 24 विदेशी दौरे किये गये और इनकी अनुमति नहीं ली गयी । उन्होंने कहा कि पार्टी ने सरकार से समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की है। समिति ने सरकार के प्रशासनिक प्रक्रिया संबंधी नियमों के उल्लंघन की जांच पड़ताल की और बड़ी संख्या में नियमों की धज्जियां उड़ाये जाने का खुलासा किया । रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारियों के सतर्क करने के बावजूद उनकी नहीं सुनी गयी। जांच में अधिकारियों की सलाह को श्री केजरीवाल की सरकार ने अनदेखा किया । दिल्ली के प्रशासनिक मुखिया होने के बावजूद उपराज्यपाल से या तो पहले अनुमति नहीं ली गयी अथवा निर्णय लेने के बाद मंजूरी ली गयी और सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फैसले किये । 



रिपोर्ट में स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन की पुत्री को लेकर किये गये कई फैसलों पर सवाल किये गये है । इसके अलावा सरकार के शासकीय अधिकारों का दुरूपयोग कर अधिकारियों की तैनाती, तबादले और पार्टी के नेताओं से जुड़े करीबियों को विभिन्न पदों पर मोटे वेतन पर नियुक्त किये जाने का उल्लेख है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मिशन में श्री जैन ने अपनी पुत्री को “मिशन निर्देशक” नियुक्त किया। दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष स्वाति मालीवाल को आवास आवंटन में भी नियमों की धज्जियां उड़ायी गयीं। "समिति ने अपनी रिपोर्ट में श्री केजरीवाल की सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि फैसले लेने में सरकार ने अधिकारों का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन किया । रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा में अधिकारी को नियुक्त करने में भी नियमों का उल्लंघन किया गया।

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