नयी दिल्ली 09 अप्रैल, पांच राज्याें के विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में गडबडी की आशंका को लेकर उठाये जा रहे सवालों के बीच निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि ईवीएम और उससे संबंधित प्रणाली सुदृढ , सुरक्षित और छेडछाड मुक्त हैं। आयोग द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है , “ पिछले दिनों भारतीय निर्वाचन आयोग की इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनों को लेकर आमजनों के मस्तिष्क में कुछ सवाल उठे हैं। निर्वाचन आयोग बार-बार कहता रहा है कि ईसीआई-ईवीएम और उनसे संबंधित प्रणालियां सुदृढ़, सुरक्षित और छेड़छाड-मुक्त हैं।” आयोग ने कहा है कि ईवीएम अद्यतन प्रौद्योगिकी पर आधारित है और इनके विनिर्माण से लेकर भंडारण तक इनके इस्तेमाल के प्रत्येक चरण में कड़े प्रशासनिक उपाय किए जाते हैं। आयोग ने इस बारे में उठाये जा रहे सवालों का जवाब देते हुए कहा है कि टैम्परिंग या छेड़छाड का अर्थ है, कंट्रोल यूनिट (सीयू) की मौजूदा माइक्रो चिप्स पर लिखित साफ्टवेयर प्रोग्राम में बदलाव करना या सीयू में नई माइक्रो चिप्स इंसर्ट करके दुर्भावनापूर्ण साफ्टवेयर प्रोग्राम शुरू करना और बैलेट यूनिट में प्रेस की जाने वाली ऐसी ‘कीज़’ बनाना, जो कंट्रोल यूनिट में सही परिणाम दर्ज न करती हो। उसका कहना है कि इन मशीनों में ऐसा कुछ नहीं है। आयोग ने स्पष्ट कहा है कि इन मशीनों को हैक नहीं किया जा सकता। ईवीएम मशीनों के एम 1 (माडल 1) का विनिर्माण 2006 तक पूरा कर लिया गया था और तमाम दावों के विपरीत एम 1 मशीनों की सभी अनिवार्य तकनीकी विशेषताओं को ऐसा बनाया गया है कि उन्हें हैक न किया जा सके। उसका कहना है कि 2006 में तकनीकी मूल्यांकन समिति की सिफारिशों के आधार पर 2006 के बाद और 2012 तक विनिर्मित ईवीएम के एम 2 माडल में अतिरिक्त सुरक्षा विशेषता के रूप में एन्क्रिप्टिड फार्म यानी कूट रूप में प्रमुख कोड्स की डायनामिक कोडिंग शामिल की गई, जिसके फलस्वरूप बैलेट यूनिट से कंट्रोल यूनिट में की-प्रेस संदेश हस्तांतरित करना संभव हुआ। इसमें प्रत्येक की-प्रेस की रीयल टाइम सेटिंग भी शामिल है, ताकि तथाकथित दुर्भावनापूर्ण सीक्वेंस की गई की-प्रेस सहित की-प्रेस की सीक्वेंसिंग का पता लगाया जा सके और रैप्ड किया जा सके।
रविवार, 9 अप्रैल 2017
पूरी तरह सुरक्षित और छेडछाड मुक्त हैं ईवीएम : चुनाव आयोग
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