नयी दिल्ली, 08 अप्रैल, उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह केहर ने राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणा पत्रों को कागज का एक टुकड़ा बताते हुए आज कहा कि चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों की ओर से किए गए वादे अधूरे रह जाते हैं। मुख्य न्यायाधीश ने यहां विज्ञान भवन में ‘चुनावी मुद्दों के संदर्भ में आर्थिक सुधार’ विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुये यह बात कहीं। न्यायमूर्ति केहर ने कहा कि चुनावी वादे आमतौर पर पूरे नहीं किये जाते हैं और घोषणा पत्र केवल कागज का एक टुकड़ा बनकर रह जाता है, इसके लिये राजनीतिक दलों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। इस अवसर पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी मौजूद थे। इस संगोष्ठी को संबोधित करते हुये न्यायमूर्ति केहर ने कहा कि लोगों को चुनाव के बाद चुनावी घोषणा पत्रों में किए गए वायदे याद नहीं रहते जिसके कारण ये चुनावी घोषणा पत्र कागज के टुकड़े बनकर रह जाते हैं परंतु इसके लिये राजनीतिक दलों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भूमि सुधार और आर्थिक क्षेत्र में किए गए सुधार देश के लिए सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। उन्होंने कहा कि चुनावी राजनीति सामाजिक ढांचे और समाज में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के इर्द-गिर्द ही रहनी चाहिए। श्री केहर ने कहा कि चुनावों में मत प्रतिशत बढ़ने से राजनीतिक दलों पर गरीब और जरूरतमंद लोगों से जुड़े मुद्दों को उठाने का दबाव बढ़ा है। उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद राजनीतिक दल अपना रवैया बदल लेते हैं और चुनावी वायदे पूरे नहीं करते।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “हम आज वैश्विक पैमाने पर सोच सकते हैं लेकिन हमें उन लोगों के बारे में भी सोचना चाहिये जिन्हें अभी तक अधिकारों से वंचित रखा गया है और वह अब तक आर्थिक मुख्य धारा से नहीं जुड़े हैं।” उन्होंने आरोप लगाते हुये कहा कि चुनाव समाप्त होने के बाद राजनतिक दल अपने वादों को पूरा नहीं करते हैं। श्री केहर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग ने पहले भी कई राजनीतिक दलों से उनके गलत बयान के लिये स्पष्टीकरण मांगा था।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें