- चंपारण में नीलहों की जगह आज मिलहों राज, नीतीश सरकार का चंपारण सत्याग्रह महज ढकोसला.
- 12 अप्रैल को माले ने किया मोतिहारी बंद का किया आह्वान.
पटना 10 अप्रील, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि मोतिहारी में बिड़ला परिवार के बंद पड़े चीनी मिल के समक्ष बकाये बकाये मजदूरी की मांग कर रहे मजदूरों और गन्ना के बकाये मूल्य की मांग करे रहे किसानों के संयुक्त धरने पर मोतिहारी जिला प्रशासन द्वारा की गयी पुलिस फायरिंग बेहद निंदनीय है. चंपारण में कभी नीलहों का राज था, आज मिलहों की तानाशाही है. एक तरफ, नीतीश सरकार चंपारण सत्याग्रह का ढकोसला कर रही है, तो दूसरी ओर उसका प्रशासन मजदूर-किसानों पर गोलियां चला रहा है. यह गांधी के चंपारण सत्याग्रह के साथ घोर मजाक व उसका अपमान है. उन्होंने कहा कि 2005 में ही बिड़ला परिवार की मोतिहारी चीनी मिल बंद हो गयी, लेकिन उसमें तकरीबन 100 मजदूरों की मजदूरी और 200 किसानों के गन्ना का बकाया मूल्य आज तक उन्हें नहीं मिल सका है. मजदूर-किसानों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. सुप्रीम कोर्ट ने चीनी मिल मालिकों को बकाये का भुगतान करने का निर्देश दिया. इस आदेश के तहत पिछले 7 अप्रैल से मिल के गेट पर मजदूर-किसानों का संयुक्त धरना चल रहा था. लेकिन जब बिहार सरकार और प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी, तब दो धरनार्थियों नरेश श्रीवास्तव और सूरज बैठा ने आत्मदाह कर लिया. संवेदनहीन प्रशासन धरनार्थियों की मांग पर कार्रवाई करने की बजाए उलटे दमन पर उतारू हो गयी. डीएम, एसपी और एसडीओ धरनास्थल पर पहुंचे और उसके बाद पुलिस ने धरनार्थियों को चारो तरफ से घेरकर लाठियां चलानी शुरू कर दीं, आंसू गैस के गोले छोड़े और फायरिंग की. जिसमें तीन लोग बुरी तरह घायल हो गये. उन्होंने आगे कहा कि तीनों घायलों को फिलहाल पटना के पीएमसीएच में रेफर कर दिया गया है. प्रशासन ने धरनास्थल पर अब तक घेराबंदी कर रखी है. भाकपा-माले के स्थानीय नेता भैरादयाल सिंह, भाग्यनारायण चैधरी, राघव साह ने धारनास्थल का दौरा कर, घटना की विस्तृत जानकारी ली है. 11 अप्रील को भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता घटना स्थल का दौरा करेंगे और 12 अप्रैल केा इस बर्बर पुलिस कांड के खिलाफ माले ने मोतिहारी बंद का आह्वान किया है.

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