नयी दिल्ली 10 अप्रैल, भारत ने ऑस्ट्रेलिया के साथ अपनी मज़बूत और जीवंत रणनीतिक साझेदारी को ना केवल दोनों देशों के समाज के कल्याण बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा, शांति एवं स्थिरता के लिये महत्वपूर्ण बताया और आतंकवाद एवं सीमापार अपराधोंं से मुकाबले में सहयोग बढ़ाने सहित छह समझौतों पर हस्ताक्षर किये। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां हैदराबाद हाउस में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल के साथ शिखर बैठक में ये फैसले लिये। बैठक के बाद दोनों देशों ने जिन समझौतों पर हस्ताक्षर किये उनमें अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद और सीमापार संगठित अपराध से मुकाबले में सहयोग, नागर विमानन सुरक्षा में सहयोग को प्रोत्साहन एवं विकास, पर्यावरण, जलवायु एवं वन्यजीवन के क्षेत्र में सहयोग, खेलों में सहयोग, स्वास्थ्य एवं औषधि क्षेत्र में सहयोग तथा पृथ्वी की निगरानी एवं उपग्रह संचालन के क्षेत्र में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और जिओसाइंस ऑस्ट्रेलिया के बीच सहयोग प्रारंभ करने की व्यवस्था के बारे में करार शामिल हैं। श्री मोदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज की बैठक में दोनों नेताओं ने भारत ऑस्ट्रेलिया संबंधों का जायज़ा लिया और समग्र आर्थिक सहयोग समझौते के लिये बातचीत में प्रगति काे लेकर अनेक फैसले लिये गये हैं। उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि भारत प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता पर ही हमारा भविष्य निर्भर है। इसलिये हम एक सुरक्षित एवं नियमों पर चलने वाले भारत प्रशांत क्षेत्र की जरूरत पर सहमति व्यक्त करते हैं। हम यह भी समझते हैं कि इस वैश्वीकरण के दौर में अातंकवाद एवं साइबर सुरक्षा के लिये चुनौतियां सीमाओं से परे समूचे क्षेत्र में विद्यमान हैं। अत: इनके मुकाबले के लिये वैश्विक रणनीति एवं समाधान खोजे जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि श्री टर्नबुल की क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों को लेकर दृष्टि ने हमारे मुद्दों को लेकर हमारे सहयोग में नये आयाम जोड़ें हैं। सुरक्षा एवं प्रतिरक्षा के क्षेत्र में हमारा सहयोग नयी ऊंचाइयों तक पहुंचा है। हमारे समुद्री अभ्यास एवं आदान प्रदान बहुत सार्थक रहें हैं। आतंकवाद निरोधक और सीमापार अपराधों को लेकर हमारे द्विपक्षीय इंतजाम अच्छी तरह से काम कर रहे हैं। हमें इस बात की बहुत खुशी है कि इस यात्रा के दौरान हमने सुरक्षा सहयोग पर एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं। हम इस बात पर सहमत है कि क्षेत्रीय शांति समृद्धि एवं संतुलन के लिये सशक्त क्षेत्रीय संस्थान जरूरी हैं। हम इस उद्देश्य के लिये पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन आैर हिन्द महासागर रिम देशों के संगठन के सदस्यों के बीच मिलकर काम करेंगे। भारत एवं ऑस्ट्रेलिया दोनों देश मानते हैं कि हमारे समाज की समृद्धि एवं उन्नति के मूल में शिक्षा एवं नवान्वेषण है। इसलिये शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग हमारे रिश्तों के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। हमने अभी हाल ही टेरी-डियाकिन नैनो एवं जैव प्रौद्याेगिकी अनुसंधान केन्द्र का उद्घाटन किया है। करीब दस करोड़ डॉलर का ऑस्ट्रेलिया भारत शोध कोष नैनो प्रौद्योगिकी, स्मार्ट सिटी, आधारभूत ढांचा, कृषि एवं रोग नियंत्रण के क्षेत्रों में साझा अध्ययन की परियोजनाओं को सहायता करेगा। दोनों देशों द्वारा विकसित विटामिन ए युक्त केलों का ट्रायल शुरू होने वाला है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आस्ट्रेलिया में भारत के 60 हजार से अधिक विद्यार्थी पढ़ते हैं और ये संख्या लगातार बढ़ रही है। प्रधानमंत्री ने भारतीय विद्यार्थियों की आकांक्षाओं को देखते हुए भारत में विश्वस्तरीय संस्थान बनाने के मकसद से ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी को प्रोत्साहित करने के संकेत दिये। उन्होंने कहा कि आर्थिक उन्नति एवं समृद्धि पर्यावरण के अनुकूल होनी चाहिये। हमारा ऊर्जा खासकर नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग एवं संवाद बढ़ रहा है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के अंतर्राष्ट्रीय सौर गठजोड़ में शामिल होने के निर्णय की सराहना की। उन्हाेंने ऑस्ट्रेलियाई संसद द्वारा भारत को यूरेनियम की आपूर्ति सुलभ करने संबंधी विधेयक के पारित होने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
सोमवार, 10 अप्रैल 2017
आतंकवाद, सीमापार आतंकवाद पर सहयोग बढ़ायेंगे भारत ऑस्ट्रेलिया
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