सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वालों का विरोध हो : राजमोहन गांधी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 12 अप्रैल 2017

सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वालों का विरोध हो : राजमोहन गांधी

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पटना 11 अप्रैल, इतिहासकार एवं महात्मा गांधी के पौत्र राजमोहन गांधी ने आज लोगों से अन्याय के खिलाफ एकजुट होने की अपील करते हुये कहा कि सांप्रदायिक सद्भाव का माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने वालों का अवश्य विरोध होना चाहिए।  श्री गांधी ने यहां बापू के चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष की शुरुआत पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के समापन सत्र को संबोधित करते हुये कहा, “राष्ट्रपिता अपने पूरे जीवन में समाज के अलग-अलग वर्गों के बीच जाति और नस्ल के भेदभाव से ऊपर उठकर प्रेम और भाईचारा कायम रखने की वकालत करते रहे।” उन्होंने कहा कि देश के किसी भी हिस्से से सांप्रदायिक तनाव की खबर आती थी तो गांधीजी पारस्परिक सहयोग और प्रेम से हालात को सामान्य बनाने का प्रयास करते थे। वर्ष 1946 में इसी तरह की स्थिति उत्पन्न होने पर वह बिहार भी आये थे। श्री गांधी ने कहा कि राष्ट्रपिता ने लोगों को हमेशा दूसरों का दुख-दर्द महसूस करने की शिक्षा दी और यह समाज के सभी वर्गों के बीच प्रेम और भाईचारा कायम रखने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है। उन्होंने कहा कि सच्चा मुसलमान वह है जो हिंदुओं की तकलीफ को महसूस करता है और यह मानक सच्चा हिंदू होने के लिए भी जरूरी है। महात्मा गांधी के पौत्र ने ब्रिटिश काल में नील किसानों की समस्याओं को जानने के लिए राष्ट्रपिता द्वारा चंपारण में बिताये कुछ दिनों का स्मरण करते हुये कहा कि अंग्रेज अधिकारियों ने महात्मा गांधी को चंपारण छोड़ने का आदेश दिया लेकिन उन्होंने उनकी आज्ञा मानने से इनकार करते हुये कहा था कि वह केवल इस क्षेत्र के किसानों की समस्याओं का समाधान करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अन्याय के खिलाफ ‘ना’ कहने में अप्रत्याशित ताकत है और राष्ट्रपिता द्वारा 100 वर्ष पहले शुरू किया गया चंपारण सत्याग्रह इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। यदि महात्मा गांधी ने ब्रिटिश अधिकारियों के चंपारण छोड़ने के आदेश को ‘ना’ नहीं कहा होता तो आज का इतिहास बिल्कुल अलग होता। श्री गांधी ने कहा कि महात्मा गांधी के ब्रिटिश अधिकारियों का आदेश मानने से इनकार करने का पूरे देश में मजबूत एवं प्रभावशाली संदेश गया और तत्कालीन समय में गुजरात के बड़े वकील वल्लभ भाई पटेल एवं अन्य ने इस सत्य को स्वीकार किया कि राष्ट्रपिता के नेतृत्व में ही देश को आजादी मिल सकती है। 


उन्होंने कहा कि लोगों का ऐसा मानना रहा है कि गांधी जी अपने सार्वजनिक जीवन वह सबकुछ नहीं कर सके जो उन्हें करना चाहिए था। ठीक ऐसे ही विचार ब्रिटेन में विंस्टन चर्चिल और अमेरिका में फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट के बारे में भी रहे हैं। उन्होंने कहा, “ऐसे लोगों को यह समझना चाहिए कि गांधीजी भगवान नहीं थे और वह अपने जीवनकाल में देश की सारी समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते थे। महान व्यक्तित्व अपने जीवन में महान उत्तरदायित्वों का निर्वहन करते हैं लेकिन कई जिम्मेदारियां आनेवाली पीढ़ी के लिए भी छोड़ जाते हैं।” उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी पर यह आरोप लगाना उचित नहीं है कि वह सबकुछ नहीं कर सके बल्कि नई पीढ़ी को राष्ट्रहित एवं मानवता की रक्षा के लिए उनके अधूरे कार्यों को संपन्न करने का बीड़ा उठाना चाहिए। श्री गांधी ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के ऊपर लगाये गये ऐसे ही आरोपों का उल्लेख करते हुये कहा कि उनके ऊपर भी ऐसे आरोप नहीं लगाये जाने चाहिए क्योंकि महान शख्सियत हमेशा अपनी आनेवाली पीढ़ी से यह अपेक्षा रखते हैं कि वे समाज के हित में अपने उत्तरदायित्वों का गंभीरतापूर्वक निर्वहन करेगी। इस अवसर पर बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि महात्मा गांधी ने अपने जीवन में समाज में प्रेम और भाईचारा कायम रखने की शिक्षा दी लेकिन वर्तमान दौर में असामाजिक तत्व समाज की शांति और समरसता के माहौल को बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं। श्री यादव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का नाम लिये बगैर कहा कि वैसे लोग भी राष्ट्रपिता के चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष को मना रहे हैं जो उनकी शिक्षा और विचारों में विश्वास नहीं रखते। यह आश्चर्यजनक है कि एक तरफ कुछ लोग महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का मंदिर बनवाने की मांग करते हैं और दूसरी ओर वही लोग बापू की प्रतिमा पर माला भी चढ़ाते हैं। ऐसे लोगों को यह समझना होगा कि दोनों काम एक साथ नहीं हो सकते। उप मुख्यमंत्री ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर किसानों की मांग की अनदेखी करने और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों की समस्याओं को सुनने के लिए समय नहीं देने का आरोप लगाया। उन्होंने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के एंटी रोमियो स्क्वैड बनाने पर कहा कि ऐसे स्क्वैड की जरूरत भाजपा के नेताओं को है जो महिला नेताओं के साथ दुर्व्यवहार करने से भी नहीं हिचकिचाते। उन्होंने बीफ की बिक्री बंद करने की मांग करने वालों का नाम लिये बगैर कहा, “देश में लोग क्या खाएंगे और क्या नहीं खाएंगे, इसका निर्धारण करने का अधिकार किसी को नहीं है।” बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने भी सत्र को संबोधित करते हुये कहा कि केंद्र में सत्तारूढ़ दल सांप्रदायिक तनाव फैलाकर समाज को विभाजित करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि अफसोस की बात है कि कुछ मीडिया संस्थान, डॉक्टर, इंजीनियर एवं अन्य पेशेवर भी सांप्रदायिक तनाव बिगाड़े जाने के प्रयास में अपना सहयोग देते हैं। 

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