विशेष : प्रतिभा किसी संस्थानों की मोहताज़ नहीं होती ! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 5 अप्रैल 2017

विशेष : प्रतिभा किसी संस्थानों की मोहताज़ नहीं होती !

दो दिन पहले एमएचआरडी ने देश के टाॅप यूनिवर्सिटी और काॅलेजों की लिस्ट जारी की है। इस सूची से देश के छात्रों और संस्थानों पर क्या असर पड़ेगा, वो तो मुझे नहीं मालूम...लेकिन जिस सरकार के मंत्री ने यह लिस्ट जारी किया उस सरकार के लिए यह सबसे शर्मनाक बात है की टाॅप में से कोई भी यूनिवर्सिटी या काॅलेज गाँव और कस्बों में से नहीं है...अधिकतर संस्था राजधानी से है या कोई बड़े शहर से..वैसे भी सरकार से लेकर उसके काम तक गाँव के टीले पर आते आते अपना दम तोड़ देता है...शायद प्रकाश जावड़ेकर को यह नहीं पता होगा की गाँव और कस्बों के यूनिवर्सिटी का वर्तमान परिदृश्य में क्या स्थिति है??भारत गाँवों का देश है..और इसकी प्रतिभा गाँव में ही दबी रहती है...चाहे वो नालंदा के बीहर में हो..या बस्तर के जंगल में...जिस तरह से समय समय पर ये प्रतिभा बिना संसाधन के उभरकर समाज के सामने आया है...जो की साफ दर्शाता है की अब शिक्षा एलीट वर्गों की एकाधिकार नहीं रहा... एलीट वर्ग भले ही लूटियन्स जोन में बैठकर जेएनयू और डीयू की मुफ़्तरोटी तोड़े..लेकिन उसके हाथों से प्रतिभा खिसकती जा रही है..यूपीएससी से लेकर तमाम एग्जामों में जहाँ आमलोगों की नज़रें एलीट वर्गों पर रहता है...और अंतिम समय में जिस तरह से कोई गाँव के दूरदराज में बैठा प्राइवेट कोर्स में पढ़ कोई बीड़ी बेचने वाले का बेटा बाजी मार लेता है...उस समय शायद यह एमएचआरडी का लिस्ट धरा का धरा ही रह जाता है...पिछले साल के यूपीएससी के रिजल्ट में तकरीबन बिहार से 26 बच्चों का सेलेक्शन हुआ जिसमें से 16 से ज़्यादा बच्चे गाँव से पढ़कर पास हुए थे..मुझे भी कई बार लोग पूछते है। तुम इस यूनिवर्सिटी में क्यों नहीं पढ़ते?? तुम वहां क्यों नहीं पढ़ते?? मेरा अक्सर जवाब होता है..अगर मैं वहां पढ़ता तो शायद आप मुझे नहीं जानते...!! मैंने अक्सर देखा है बहुत सारे लोग सिर्फ इस बात पर गर्व करने में अपनी पूरी जिंदगी गुजार देतें हैं की अना काॅलेज से पढ़े हैं...उसने फना काॅलेज से डिग्री ली है..जबकि उसे इस बात के लिए गर्व करना चाहिए की उसने उस संस्था से पढ़ने के बाद समाजिक सारोकार में कितना योगदान दिया??  वैसे भी सरकार और एमएचआरडी को यह आत्मज्ञान करते रहना चाहिए की एलीट वर्ग को सफलता अधिकतर संसाधनों की वजह से मिलता है...जबकि दूर दराज में पढ़ रहे बच्चे जहाँ तीन साल का कोर्स पाँच साल में पूरा होता है..वहां वो खुद की बदौलत सफलता प्राप्त करता है..अर्थात यूँ कहे की प्रतिभा किसी भी संस्थानों की मोहताज़ नहीं होती...!!




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अविनीश मिश्रा
लेखक माखनलाल यूनिवर्सिटी में अध्ययनरत है

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