- चार साल के नन्हें फैजान की है गजब की स्मरण शक्ति. देश, उसकी राजधानी से लेकर अन्य चीजे हैं कंठस्त याद
कहते हैं प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होतीं। या तो यह ईश्वरीय शक्ति की एक अनुपम कृति होती है या फिर घर-परिवार, समाज के द्वारा प्राप्त संस्कृति-संस्कार, आचार-विचार व अनुभव का त्वरित गति से आत्मसात किया गया गुण। हम यहाँ बात कर रहे हैं एक ऐसे बालक की जो दिखता तो है बिल्कुल साधारण किन्तु उसकी अद्भुत क्षमता उसे लोकप्रिय बना डालती है। दुमका के बाघनोचा-राखाबनी में रहने वाले मो फारुक अनवर व गुड़िया खातुन के बेटे मो फैजान की गजब की स्मरण शक्ति है। विश्व के तमाम देश व उसकी राजधानी से लेकर अन्य चीजें उसे कंठस्थ याद है। चंद दिनों पूर्व ही उसने चार साल की उम्र पूरी की है। पिता फारुक एमए-बीएड कर चुके हैं और शिक्षक की नौकरी पाने के लिए खुद तैयारी कर रहे हैं। घर में उनके भतीजे रेहान हैं, जो सातवीं में पढते हैं। अपनी किताबों से विभिन्न विषयों पर आधारित चीजों सहित अन्य के रेहान को याद करते सुन फैजान को पहले ही दिन कई देशों की राजधानी याद हो गयी। जब इस बात का अहसास फारुक व उनकी पत्नी गुड़िया को हुआ, तो वे अपने बच्चे को इसके लिए प्रेरित करने लगे। जब माता-पिता को फूर्सत मिलती, दोनों बच्चे को बताते, पढ़ाते व याद कराते। चंद दिनों में ही उसने सभी देशों की राजधानी याद कर ली। अब तो वह देश के प्रमुख नेताओं, मंत्री, मुख्यमंत्री के नामों को जानने में लगा हुआ है। चांद पर जाने की है तमन्ना है फैजान को। वह साइंटिस्ट बनना चाहता है ताकि विश्व की बारीकियों से अवगत हो सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फैजान काफी प्रभावित है। पीएम मोदी से वह वह मिलना भी चाहता है। चाणक्य उर्फ कौटिल्य उर्फ उपगुप्त (अर्थशास्त्र के जनक) के बारे में उसने लैपटॉप इंटरनेट के जरिये जाना था। कौटिल्य की तरह ही फैजान ब्रिलियेण्ट बनना चाहता है। फैजान के दादा हाजी शेखावत अंसारी बांधडीह मिडिल स्कूल से बतौर शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वे कहते हैं कि बच्चे में विलक्षण प्रतिभा है। उसके सामने पढ़ने वाले छात्रों की बात सुनकर ही उसे सबकुछ याद आ जाता है। बाघनोचा-राखाबनी मुहल्लावासी मो0 अरशद कहते हैं कि इतनी कम उम्र में इतनी तीक्ष्ण स्मरण शक्ति बहुत बड़ी बात है। वे कहते हैं फैजान तरक्की के हर शिखर तक पहुंचेगा, ऐसी उम्मीद है।
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