बिहार : ईसाई समुदाय के समक्ष चुनौती - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 20 मई 2017

बिहार : ईसाई समुदाय के समक्ष चुनौती

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पटना। पश्चिम चम्पारण में स्थित बेतिया, चुहड़ी, चकनी आदि जगहों से ईसाई पलायन करके आये थें। यहां पर धर्मप्रचारक के रूप में थे पास्कल मास्टर। सिल्वेस्टर भाजू, दाउद, पौल दाउद,रफायल महतो आदि मुठ्ठीभर के ही लोग थे। इन लोगों के प्रयास से कुर्जी परिवारों का विस्तार हुआ। मिशन में कार्यरत थे। मगर मिशन वालों ने सम्मान देने के बदले अपमानित करते रहे। इनके परिवार से सिस्टर और फादर भी बने। सदैव मिशनरी ईसाई समुदाय को चुनौती देते रहे। हालांकि ईसाई समुदाय की जनसंख्या पांच हजार की है । ऐसा दावा किया जाता है। 


इतिहास के साथ जुड़ी है कुर्जी पल्ली और संत माइकल उच्च विघालय। संत माइकल उच्च विघालय में ईसाई समुदाय के लोग ‘बी’ फोर बार्वची का कार्य किये। ‘ंडी’ से दरवान भी रहे। संत माइकल उच्च विघालय में कर्मियों के बच्चे और अन्य बच्चों को एडमिशन लिया जाता था। कुछ साल के बाद अध्ययनरत बच्चों को स्कूल से मिशनरी विदा कर देते थे। जो आज भी जारी है। बावजूद, इसके ईसाई समुदाय उभरने का प्रयास करते रहे। मिशनरियों के मायावी जाल से निकलने के क्रम में 1977 में अव्वल स्व0 जैकब जोसेफात ने मैनपुरा ग्राम पंचायत से पंच के लिए चुनाव लड़ा और विजयी घोषित हुए। इस तरह कुर्जी पल्ली के स्वर्णीम इतिहास में जैकब जोसेफात पहली बार ‘पंच’ बन सके। इसके बाद साउथ इंडियन सुसन रिचर्ड ने पश्चिम मैनपुरा ग्राम पंचायत के वार्ड सदस्य के लिए 2005 में चुनाव लड़ा और शानदार विजयी घोषित की गयी। इधर आशा पीटर ने पूर्वी दीघा ग्राम पंचायत के मुखिया पद के लिए नामांकन दाखिल की। मुखिया पद के चुनाव में 2005 में आशा पीटर काफी कम मतों से पराजित हो गयी। फिर से धार्मिक कार्य के साथ सामाजिक कार्य भी शुरू कर दी। कुर्जी पल्ली के इतिहास में वर्ष 2011 उल्लेखनीय है। एक नहीं दो ईसाइयों ने मुखिया पद के लिए नामांकन दाखिल किये। पूर्वी दीघा ग्राम पंचायत से आशा पीटर और पश्चिमी मैनपुरा ग्राम पंचायत से फिलिप जैकब। दोनों मुखिया के चुनाव में शिकस्त खा गये। 

त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत के पूर्वी दीघा गा्रम पंचायत, पश्चिमी दीघा गा्रम पंचायत, उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत, पूर्वी मैनपुरा ग्राम पंचायत और पश्चिमी मैनपुरा ग्राम पंचायत को विघटित कर पटना नगर निगम में शामिल कर लिया गया। पांच पंचायतों को मिलाकर 3 वार्ड तैयार किया गया। वार्ड नम्बर- 22 ए, वार्ड नम्बर- 22 बी और वार्ड नम्बर- 22 सी। 6 साल के बाद बालूपर मुहल्ले से राजन जोवाकिम की पत्नी संजू राजन वार्ड नम्बर-22 बी से भाग्य अजमाने मैदान में कूद पड़ी हैं। उनका चुनाव चिन्ह है 

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