- दो से चार हजार किसानो का भुगतान लंबित है।
मधुबनी/अंधराठाढी (मोo आलम ) डीजल अनुदान योजना के राशि लेना यहॉ के किसानो के परेशानी का शवव बन गया है। दो र्वा से प्रखंड कृा पदाधिकारी कार्यालय ,प्रखंड नजारत फिर बैंक के चक्कर लगाते लगाते किसान परेशान हो रहे है। सूत्रो के मुताविक तकरीवन 4000 किसानो को डीजल अनुदान राशि मिलना है। सरकार ने तकरीवन 52 लाख रूपये इस मद में भुगतान के लिये मुहैया कर चुकी है। कृा कार्यालय के सूत्रो के मुताविक किसानो की सूची तैयार कर प्रखंड कार्यालय को उपलब्ध करा दिया है। प्रखंड कार्यालय भी अपना पल्ला झाडते हुये वताया कि भुगतान हेतु उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक शाखा रूद्रपुर को एकाउण्ट के माध्यम से भुगतान हेतु किसानो के बैंक एकाउण्ट समेत सूचि उपलब्ध करा दी है। वैंक को आरटीजीएस के माध्यम से लाभुको के खाता में पैसा भेजना है। दो साल के वकाया भुगतान लंबित होने के कारण किसान हताश और निराश हो चुके हैं किस स्तर पर भुगतान रूका हुआ हैं । वह विभाग और बैंक हीं जाने । इसी तरह ओलावृटि मद की अनुदान राशि से बंचित दो सौ से अधिक किसान हतोत्साह है। पांच हजार से अधिक किसानो को तकरीवन डेंढ कडोर रूपये इस प्रखंड को आवंटित हुआ था। शे किसानो को खाता पर अनुदान राशि पहुंची तकरीवन दो सौ किसानो के नाम या खाता संख्या आदि लिपिकीय भुल के कारण भुगतान से बंचित है। इसे सुधार करना प्रखंड कार्यालय की जिम्मेवारी बनती है। रबी फसल के अनुदान राशि गेहॅू कटाई के वावजूद भी भुगतान लंवित है। इसमें जीरो टीलेज के 310 किसान को 1980 रू मुख्यमंत्री गेहू बीज योजना के 96 किसान एवं मूग दाल अनुदान के 96 किसानो को 324 रू स्वी विधि के तहत 37 किसानो के 1560 के दर से अनुदान मिलना है। यह राशि प्रखंड कृा पदाधिकारी के द्वारा भुगतान देना है।
कहते है कृ पदाधिकारी रामपुकार पासवान : रबी फसल के अनुदान राशि एक सप्ताह के भीतर किसानो के खाते में राशि पहुच जायेगी । आरटीजीएस के लिए सूची बैंक को भेज दी गयी है।
कहते है प्रखंड विकास पदाधिकारी आलोक कुमार शर्मा : डीजल अनुदान राशि भुगतान हेतु बार बार शाखा प्रवंधक को लिखा गया हैं । बैंकर्स मीटींग में भी शाखा प्रवंधक ग्रामीण बैंक रूद्रपुर को कहा गया है। इस सप्ताह में भुगतान नहीं करने पर उच्चाधिकारियो को लिखा जायेगा । ओलावृठि मद की अनुदान राशि स्टेट बैंक झंझारपुर से आरटीजीएस होता है। समस्या सुधार कर कई वार सूची दूवारा भी भसेजा गया हैं अव कम हीं किसान इस लाभ से बंचित है।
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