संविधान में अल्पसंख्यक शब्द परिभाषित नहीं : दीक्षित - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

बुधवार, 14 जून 2017

संविधान में अल्पसंख्यक शब्द परिभाषित नहीं : दीक्षित

minority-word-not-defined-in-constitution-dikshit
लखनऊ 13 जून, उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने ‘अल्पसंख्यक’ शब्द को संविधान में परिभाषित नहीं बताकर एक नई बहस को जन्म दे दिया, श्री दीक्षित ने यहां ‘यूनीवार्ता’ से कहा कि संविधान में ‘अल्पसंख्यक’ शब्द को परिभाषित ही नहीं किया गया है, इसलिये यह निर्विवाद नहीं है। हालांकि,वर्तमान राजनीतिक दौर में इस शब्द को परिभाषित किये जाने की जरूरत हैे। उन्होंने कहा कि 1976 में आपातस्थित के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने संविधान में समाजवादी और पंथ निरपेक्षता शब्द जुडवा दिये थे। यह संशोधन संसद में विपक्ष की नामौजूदगी में कराया गया था, क्योंकि देश के प्रमुख विपक्षी नेता उस समय जेल में थे। उनका कहना था कि उस समय सभा अपने स्वरुप में नहीं थी। इन दोनो शब्दों को परिभाषित भी नहीं किया गया था। परम्पराओं के अनुसार विधि निर्माण में प्रयुक्त शब्दों को परिभाषित किया जाना चाहिये। अल्पसंख्यक शब्द भी परिभाषित नहीं है, इसलिये इसको निर्विवाद नहीं कहा जा सकता।

कोई टिप्पणी नहीं: