दुमका : राज्य सरकार ने डीसी को पन्द्रह दिनों के अन्दर दिया जाँच का आदेश। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 10 अगस्त 2017

दुमका : राज्य सरकार ने डीसी को पन्द्रह दिनों के अन्दर दिया जाँच का आदेश।

  • उप राजधानी दुमका के तमाम विभागों में भ्रष्टाचार के विरुद्ध पीएम मोदी को लिखे पत्र का हुआ असर, 

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) दुमका जिलान्तर्गत सभी विभागों, विधायक निधि, सांसद निधि में भ्रष्टाचारियों द्वारा भयंकर कमीशनखोरी के कारण बाधित हो रहा सबका साथ, सबका विकास व विकास कार्यों में गुणवत्ता गुणवत्ता को दरकिनार कर सरकारी राशि के दुरुपयोग व लूट-खसोट से संबंधित तीन विन्दुओं पर प्रधानमंत्री भारत सरकार, नई दिल्ली का घ्यान आकृष्ट कराया गया था। इतना ही नहीं जिले के सारे विभागों द्वारा सम्पादित विकास कार्यों की गुणवत्ता की जाँच व संवेदक, अभियंता व नेताओं के द्वारा आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के विरुद्ध सीबीआई से जाँच की मांग के आलोक में सरकार के उप सचिव नीलम लता ने उपायुक्त दुमका को आवश्यक कार्रवाई कर पन्द्रह दिनों के अन्दर कृत कार्रवाई से विभाग को अवगत कराने का अनुरोध किया गया है। झारखण्ड सरकार ग्रामीण विकास विभाग के पत्र सं0-09-एमपीएलएडीएस-15/ 2017/ 3415 (अनु0)/ ग्रा0 वि0, राँची दिनांक 05-07-2017 के माध्यम से उपायुक्त, दुमका को पत्र लिखा गया है। भाजपा दुमका इकाई के एक सक्रिय कार्यकर्ता की हैसियत से प्रधानमंत्री को प्रेषित आवेदन में प्रकाश गन्धर्व ने जिक्र करते हुए कहा है कि दुमका जिला में कुल 10 प्रखण्ड हैं। ये प्रखण्ड हैं-दुमका, जामा, जरमुण्डी, सरैयाहाट, रामगढ़, गोपीकान्दर, काठीकुण्ड, शिकारीपाड़ा, रानेश्वर व मसलिया। जिले के उपरोक्त तमाम प्रखण्डों में विकास कार्यों के नाम पर भारी कमीशनखोरी व लूट-खसोट जारी है। श्री गन्धर्व के अनुसार मनरेगा कार्यों मे जहाँ एक ओर बीडीओ 5 प्रतिशत, जेई 5 प्रतिशत, बीपीओ 5 प्रतिशत, एई 3 प्रतिशत, कार्यालय 3 प्रतिशत व पीसी 10 प्रतिशत (कुल 31 प्रतिशत) कमीशन की राशि बसूली जाती है वहीं आरईओ में एग्रिमेंट में 4 प्रतिशत, जेई 5 प्रतिशत, एई 3 प्रतिशत, ईई 4 प्रतिशत, एसई 2 प्रतिशत, कार्य आवंटन में 2 प्रतिशत, गुणवत्ता हेतु समझौता में 3 प्रतिशत (कुल 23 प्रतिशत कमीशन) वसूली जाती है। पीडब्ल्यूडी में एग्रीमेंट के वक्त 4 प्रतिशत, जेई 5 प्रतिशत, एई 3 प्रतिशत, ईई 4 प्रतिशत, एसई 2 प्रतिशत, कार्य आवंटन में 2 प्रतिशत, गुणवत्तापूर्ण कार्यों के समझौता में 3 प्रतिशत (23 प्रतिशत कमीशन का  प्रतिशत) वसूला जाता है। एनआरईपी में कार्य आवंटन के वक्त 10 प्रतिशत, जेई 5 प्रतिशत, एई 3 प्रतिशत, ईई 4 प्रतिशत, एसई 2 प्रतिशत, सीई 2 प्रतिशत, कार्यालय नाजीर 1 प्रतिशत, डीए 1.5 प्रतिशत (कुल 28.5 प्रतिशत कमीशन) की राशि वसूली जाती है। श्री गन्धर्व के अनुसार विशेष प्रमण्डल में कुल प्राक्कलित राशि में 29.5 प्रतिशत राशि कमीशन की भेंट चढ़ जाती है। इस विभाग में कार्य आवंटन के वक्त 10 प्रतिशत ली जाती है। कनीय अभियंता 5 प्रतिशत, सहायक अभियंता 3 प्रतिशत, कार्यपालक अभियंता 4 प्रतिशत, अधीक्षण अभियंता 2 प्रतिशत, सीई 2 प्रतिशत, कार्यालय नाजीर 1 प्रतिशत व डीए के रुप में 1.5 प्रतिशत की राशि वसूली जाती है। सिंचाई विभाग में भी 29.5 प्रतिशत राशि कमीशन की भेंट चढ़ जाती है। लघु सिचाई विभाग में पोखरा, चेकडेम के कार्य आवंटन में अधीक्षण अभियंता 13 प्रतिशत गड़क जाते हैं। कनीय अभियंता 5 प्रतिशत, सहायक अभियंता 3 प्रतिशत, कार्यपालक अभियंता 4 प्रतिशत, एसई 2 प्रतिशत, कार्यालय नाजीर 1 प्रतिशत व डीए 1.5 प्रतिशत काट लिया जाता है। इस तरह इस विभाग में 32.5 प्रतिशत राशि कमीशन की भेंट चढ़ जाती है। भूमि संरक्षण विभाग में स्थिति और भी बद्तर है।


इस विभाग में कार्य आवंटन के वक्त ही 14 प्रतिशत राशि की वसूली कर ली जाती है। पीसी 7 प्रतिशत, कनीय अभियंता 7 प्रतिशत, सहायक अभियंता 8 प्रतिशत, कार्यपालक अभियंता 5 प्रतिशत व कार्यालय व्यय के रुप में 3 प्रतिशत राशि बतौर कमीशन ली जाती है। इस प्रकार पूरी प्राक्कलित राशि का 44 प्रतिशत हिस्सा इस विभाग के कर्णधारों की भेंट चढ़ जाती है। जिला परिसद में कमीशन की कुल राशि 32.5 प्रतिशत निर्धारित है। काम लेना है तो कुल राशि में से वतौर कमीशन 32.5 प्रतिशत राशि खर्च करनी ही होगी। इसमें कार्य आवंटन के वक्त 8 प्रतिशत, पीसी 5 प्रतिशत, जेई 5 प्रतिशत, एई 3 प्रतिशत, ईई 4 प्रतिशत, एसई 2 प्रतिशत, सीई 2 प्रतिशत, कार्यालय 15 प्रतिशत, नाजीर 1 प्रतिशत व डीए 1 प्रतिशत निर्धारित है। कल्याण विभाग के अधीन कार्य पर पदाधिकारी को 5 प्रतिशत, जेई को 7 प्रतिशत, एई को 5 प्रतिशत, एसई को 4 प्रतिशत, कार्यालय को 1.5 प्रतिशत, नाजीर को 1.5 प्रतिशत, कार्य आवंटन पर 13 प्रतिशत खर्च करना बाध्यता है। इस प्रकार इस विभाग में 36.5 प्रतिशत राशि कमीशन की भेंट चढ़ जाती है। मेसो कार्यालय में एनजीओ द्वारा कार्य प्रारंभ से लेकर कार्य समाप्ति तक 33 प्रतिशत। मत्स्य विभाग में 25 प्रतिशत। पीएचईडी में ग्रामीण जलापूर्ति योजना व चापानल मरम्मती कार्यों में 30 प्रतिशत। डीपीईपी (शिक्षा विभाग) में विद्यालय भवन निर्माण में 23 प्रतिशत। झालको में 45 प्रतिशत। विधायक निधि में 35 प्रतिशत व सांसद निधि में 30 प्रतिशत राशि कमीशन के तौर पर ली जाती है।  भाजपा दुमका इकाई से छः वर्षों तक के लिये निष्काषित सक्रिय कार्यकर्ता प्रकाश चन्द्र गन्धर्व ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में आरोप लगाते हुए कहा है कि जहाँ एक ओर भाजपा का नारा ’’सबका साथ, सबका विकास है’’, वहीं प्रशासनिक पदाधिकारी, अभियंताओं, बिचैलियों, ठेकेदारों व संवैधानिक पद पर बैठे नेताओं के आपसी गठजोड़ से पूरी योजना की मिट्टी पलित लगातार जारी है। 

प्राक्कलन की अनदेखी कर व गुणवत्तापूर्ण कार्यों से समझौता कर भ्रष्टाचारियों द्वारा सरकारी राशि की लूट-खसोट परवान पर है। भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को तरह-तरह की यातनाएँ दी जाती हैं। कई ऐसी योजनाएँ हैं संचिकाओं पर ही जिनकी सारी प्रक्रियाएँ पूरी कर ली जाती हैं और उन योजनाओं के नाम पर आवंटित राशियों की आपसी बंदरबांट कर ली जाती हैं। जबकि धरातल पर थोड़ा भी काम नहीं किया जाता। संवेदक-अभियंताओं के ऐसे गठजोड़ से प्रति वर्ष करोड़ों रुपये के वारे-न्यारे लगातार जारी हैं। तथाकथित संवेदकों, अभियंताआंे, पदाधिकारियों व नेताओं के विरुद्ध परोक्ष रुप से आरोप लगाते हुए श्री गन्धर्व ने कहा है कि उपरोक्त ने इतनी संपत्ति अर्पित कर रखी है कि काली कमाई को छुपाने के लिये उपरोक्त ने कई बड़े-बड़े शहरों में बड़ी-बड़ी जमीन के टुकड़ों सहित फलेट, आलिशान बंग्ला व न जाने और क्या-क्या चीजें खरीद कर रख ली है जिसकी जानकारी कम ही लोगों को लग पाता है। हवाला के जरिये भी इनका कारोबार निर्वाध जारी है। इन तमाम विन्दुओं पर सीबीआई जैसी उच्चस्तरीय जाँच टीम गठित कर योजनाओं में गुणवत्तापूर्ण कार्यों से समझौता कर अकुत संपत्ति बनाने वाले संवेदकों सहित अभियंताआंे, पदाधिकारियों व नेताओं का पर्दाफाश किया जाए ताकि पूरे देश को यह ज्ञात हो सके कि केन्द्र व राज्य सरकार ’’सबका साथ, सबका विकास’’, सही मायनों में चाहती है।  

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