नयी दिल्ली 22 अगस्त, बैंकों के निजीकरण और विलय के खिलाफ तथा बैंकों में सभी पदों पर भर्ती, अनुकंपा आधार पर नियुक्ति एवं नोटबंदी के दौरान किये गये अतिरिक्त काम के लिए ओवरटाइम दिये जाने जैसी मांगों को लेकर आज सरकारी बैंककर्मियों की देशव्यापी हड़ताल से बैंकिंग सेवायें बुरी तरह प्रभावित हुयी और आम लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। दिल्ली तथा इसके आस-पास के इलाकों में हड़ताल के कारण राष्ट्रीयकृत बैंकों की सेवायें ठप रहीं और लोगों काे मुश्किल का सामना करना पड़ा। इस हड़ताल का आह्वान बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के संयुक्त संगठन , यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने किया है। इसमें कर्मचारियों के पांच और अधिकारियों के चार संगठन शामिल हैं । देशभर के करीब दस लाख बैंक कर्मचारियों तथा अधिकारियों के हड़ताल पर रहने से पूरे देश में बैंकिंग गतिविधियां प्रभावित हुयी। हड़ताल का असर बिहार में भी देख गया। कर्मचारी संघों के सह संयोजक एवं बेफी के इकाई अध्यक्ष बी. प्रसाद ने कहा कि सरकारी बैंकों के निजीकरण एवं विलय पर रोक, कॉरपोरेट ऋणों की वसूली समेत बड़े- बड़े दोषी ऋणियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा समेत नौ मांगों के समर्थन में देश के करीब दस लाख बैंककर्मी हड़ताल पर हैं। हड़ताली बैंक कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने राजधानी पटना में कई जगहों मौर्य लोक कॉम्पलेक्स ,डाक बंगला चौराहा, आकाशवाणी मोड़, इलाहाबाद बैंक चौराहा के समीप प्रदर्शन किया तथा अपनी मांगों के समर्थन में नारे लगाये। पटना समेत राज्य के पूर्णिया ,सहरसा ,किशनगंज ,गया ,गोपालगंज ,समस्तीपुर ,बेगूसराय,नालंदा, मुंगेर, भागलपुर ,नवादा, शेखपुरा ,आरा समेत सभी जिलों में बैंक बंद हैं। हड़ताल के कारण कोई समाशोधन का कार्य नहीं हुआ । यूनियन का कहना है कि करीब 12 लाख करोड़ रुपये की राशि बैंकों से कर्ज ली गयी थी जिसे कॉरपोरेट घरानों ने चुकाया नहीं है और वे इस राशि को बैंकों को खरीदने में इस्तेमाल करने की साजिश कर रहे हैं जिससे साधारण लोगों को सरकारी बैंकों की सेवा से महरूम होना पड़ेगा।
मंगलवार, 22 अगस्त 2017
बैंककर्मियों की हड़ताल: लेनदेन बुरी तरह प्रभावित
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