बिहार में जातीय संतुलन बनाने की कोशिश - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 4 सितंबर 2017

बिहार में जातीय संतुलन बनाने की कोशिश

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पटना. 03 सितम्बर, केन्द्रीय मंत्रिमंडल में बिहार से दो नये चेहरे अश्विनी चौबे और आर.के.सिंह को शामिल कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मिशन 2019 के अपने लक्ष्य को हासिल करने लिए राजनीतिक एवं प्रशासनिक अनुभव के साथ राज्य में जातीय संतुलन को भी ठीक करने की कोशिश की है। बिहार से मोदी मंत्रिमंडल में कुल आठ मंत्री थे लेकिन इनमें से कोई भी ब्राह्मण नेता नहीं था। श्री चौबे की ब्राह्मण राजनीति में मजबूत पकड़ है और उन्हें केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जगह देकर इस कमी को पूरा किया गया है। वहीं श्री राजीव प्रताप रूडी के इस्तीफे के कारण बिहार में राजपूत राजनीति पर पकड़ रखने वाले एक तेज - तर्रार नेता की कमी श्री आर के सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल पूरी की गयी है। मोदी मंत्रिमंडल में भाजपा कोटे से रविशंकर प्रसाद, राधामोहन सिंह, गिरिराज सिंह, रामकृपाल यादव, लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) से रामविलास पासवान, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) से उपेंद्र कुशवाहा मंत्री हैं। वहीं बिहार से ही भाजपा के राज्यसभा के सदस्य धर्मेंद्र प्रधान भी केन्द्रीय मंत्री हैं। हालांकि वह ओडिशा के मूल निवासी हैँ। पिछले 31 अगस्त को कौशल विकास मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था । 


मंत्रिमंडल विस्तार में जातीय संतुलन के साथ राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव का भी ख्याल रखा गया है। पहली बार सांसद बने अश्विनी कुमार चौबे 70 के दशक में जयप्रकाश आंदोलन से राजनीति में सक्रिय रहे और उनका राज्य की राजनीति में गहरा अनुभव है। श्री चौबे वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में बक्सर से सांसद चुने जाने से पहले 1995 से 2014 तक बिहार के भागलपुर विधानसभा क्षेत्र से लगातार पांच बार विधायक रहे। वह करीब आठ वर्ष तक नीतीश मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य, शहरी विकास और लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण जैसे अहम विभागों की जिम्मेवारी संभाल चुके हैं। श्री आर के सिंह का भले ही राजनीतिक अनुभव कम हो लेकिन उनकी प्रशासनिक कुशलता और दक्षता का लोहा उनके राजनीतिक विरोधी भी मानते हैं। नब्बे के दशक में भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी का रथ रोक कर सुर्खियां बटारने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के बिहार कैडर के पूर्व अधिकारी श्री सिंह केंद्र सरकार में गृह सचिव के रूप में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। गृह सचिव के रूप में उन्होंने समझौता एक्सप्रेस और मालेगांव धमाके में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े संगठनों तथा लोगों के शामिल होने संबंधी बयान दिए और इसके कारण भी वह खूब सुर्खियों में रहे। इमानदार और सख्त प्रशासक की छवि वाले श्री सिंह ने बिहार में पुलिस आधुनिकीकरण, जेल सुधार और आपदा प्रबंधन में अहम योगदान दिया था। केन्द्रीय मंत्रिमंडल में इससे पहले बिहार को सबसे ज्यादा महत्व मनमोहन सिंह सरकार के पहले कार्यकाल 2004 में मिला था । जब बिहार से दस नेता केन्द्रीय मंत्रिमंडल में थे। उस समय राष्ट्रीय जनता दल(राजद) के लालू प्रसाद यादव रेल, रघुवंश प्रसाद सिंह ग्रामीण विकास, कांग्रेस की मीरा कुमार सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण, राजद के प्रेमचंद्र गुप्ता कंपनी उड्डयन (राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार), लोजपा के रामविलास पासवान रसायन, उर्वरक और इस्पात, राज्य मंत्री के रूप में कांग्रेस के शकील अहमद संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, राजद के मो.तसलीमुद्दीन भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम, एमएए फ़ातमी मानव संसाधन विकास, कांति सिंह- मानव संसाधन विकास और अखिलेश सिंह कृषि, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री के तौर पर मनमोहन सिंह सरकार में शामिल थे । मनमोहन सिंह सरकार के दूसरे कार्यकाल में बिहार से एक भी मंत्री उनके मंत्रिमंडल में नहीं था। सासाराम की सांसद मीरा कुमार लोकसभा अध्यक्ष थी। 

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