दुमका : आदिवासी कठपुतली लोककला ‘चादर-बादोनी’ प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 24 सितंबर 2017

दुमका : आदिवासी कठपुतली लोककला ‘चादर-बादोनी’ प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन

workshop-in-jharkhand
दुमका (अमरेन्द्र सुमन)  पिछले 21 दिनों से चल रहे आदिवासी कठपुतली लोक कला चादर-बदोनी प्रशिक्षण कार्यषाला का समापन दिन शनिवार को प्रशिक्षु आईएएस, दुमका विशाल सागर के संबोधन के साथ ही समाप्त हो गया। झारखण्ड सरकार के कला संस्कृति विभाग से सहयोग प्राप्त जनमत शोध संस्थान के तत्वावधान में इंडोर स्टेडियम स्थित, झारखण्ड कला मंदिर में आयेजित समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रशिक्षु आईएएस विशाल सागर ने प्रतिभागी कलाकारों को संबोधित करते हुए कहा कि विभिन्न प्रदेश के कठपुतली कलाओं का जिक्र तो कई जगह पर मिलता है लेकिन संताल परगना के आदिवासी कठपुतली लोक कला ‘चादर-बदोनी’ का उल्लेख कहीं नहीं मिलता है। ऐसे में विलुप्त लोक कला पर कला संस्कृति विभाग के सहयोग से जनमत शोध संस्थान द्वारा किया गया प्रयास बहुत ही महत्वपूर्ण व सराहनीय है, आवश्यकता है यहाँ प्रशिक्षण लेने वाले कलाकार आगे भी विभिन्न अवसरों पर इसका निर्माण और प्रर्दशन कर इसका प्रचार-प्रसार करते रहें। समारोह के विशिष्ठि अतिथि अनुमंडल पदाधिकारी जयप्रकाश झा ने प्रतिभागी कलाकारों को इस विलुप्तप्राय आदिवासी कठपुतली लोक कला से जुड़कर प्रशिक्षण लेने और इसे पुनर्जीवित करने के प्रयासों की सराहना की। इस अवसर पर जिला साक्षरता समिति के मुख्य कार्यक्रम प्रबंधक सिंहासन कुमारी, जिला खेल-कूद संघ के सचिव उमाशंकर चैबे व पत्रकार अमरेन्द्र सुमन एवं राजीव रंजन ने भी पिछले 21 दिनों से चल रहे प्रशिक्षण कायशााला के महत्व पर अपने-अपने विचार व्यक्त किये। जनमत शोध संस्थान के सचिव अशोक सिंह के निर्देशन एवं गौरकांत झा के संयोजन में आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन समारोह में जहाँ एक ओर प्रतिभागी कलाकारों द्वारा निर्मित कठपुतली सेट चादर-बदोनी का गीत-संगीत के साथ प्रदर्शन किया गया, वहीं दूसरी ओर मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियों द्वारा सभी प्रतिभागी कलाकारों एवं प्रशिक्षकों को प्रमाण पत्र एवं पोषाक वितरण किया गया। इस पर विभिन्न प्रखण्डों से आये कई महिला-पुरूष प्रतिभागियों ने भी अपने अनुभव को साझा किया एवं इस कला का व्यापक प्रचार-प्रसार करने का संकल्प लिया। प्रषिक्षक मानेश्वर मुर्मू और बाबूधन मुर्मू ने कहा कि जब तक हमलोग जिंदा है,ं अपनी इस कला को हम मरने नहीं देगें। 21 दिनों से इस प्रषिक्षण कार्यषाला का संचालन कर रहे जनमत के सहायक समन्वयक, शंभू नाथ सेन एवं कुंदन कुमार साह ने अपना अनुभव सुनाते हुए कहा कि इन 21 दिनों में जहाँ कई रिसोर्स पर्सन हमारे बीच आये, वहीं इंडोर स्टेडियम में आने-जाने वाले सैकड़ों लोग भी यहाँ आकर इसके बारे में हमलोगों से जानकारी ली और इस कला को देखे-परखे तथा अपने मंतव्य भी रजिस्टर में दर्ज किये। इसी कड़ी में समाज कल्याण मंत्री, डाॅ0 लुईस मराण्डी से लेकर उपायुक्त मुकेष कुमार, उप विकास आयुक्त शशि रंजन एवं जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी सहित जिले के कई वरीय पदाधिकारीयों का भी हमारे कार्यशाला में आगमन हुआ। जिससे प्रतिभागियों का उत्साह बढ़ा। यहाँ तक कि केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के आगमन एवं रघुवर सरकार के 1000 दिन पूरे होने के उपलक्ष्य में दुमका में आयोजित गरीब कल्याण मेला मंे जिला प्रशासन द्वारा इस कला के प्रदर्शन के लिए एक स्टाॅल उपलब्ध कराया गया, जहाँ इसके प्रदर्षन को देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्षकों की भीड़ उमड़ पड़ी। कार्यक्रम में झारखण्ड कला मंदिर के दिवाकर सिंह सहित कई गण्यमान्य लोग एवं विभिन्न प्रखण्डों से आये प्रतिभागी कलाकार मौजूद थे।

कोई टिप्पणी नहीं: