पटना 19 जनवरी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आह्वान पर 21 जनवरी को नशा, दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ बनायी जाने वाली मानव श्रृंखला का आशा कार्यकर्ता, रसोईया, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाएं और विभिन्न विभागों में कार्यरत ठेका-मानदेय कर्मियों ने बहिष्कार करने का निर्णय लिया है । ऑल इंडिया सेंट्रल कॉउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियनस (एक्टू) के राज्य महासचिव आर एन ठाकुर , बिहार राज्य अनुबंध-मानदेय नियोजित सेवाकर्मी संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष रामबली प्रसाद और बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ की अध्यक्ष सरोज चौबे ने आज यहां बयान जारी कर कहा कि सरकार की विभिन्न योजनाओं से जुड़े कर्मी सम्मानजनक आर्थिक और सामाजिक जिंदगी के लिये लम्बे समय से संघर्ष कर रहे है लेकिन केन्द्र और राज्य सरकार उनकी मांगो के प्रति असंवेदनशील रूख अपनाये हुए है । ऐसी स्थिति में किसी भी सरकारी आयोजन में उनके शामिल होने का कोई औचित्य नहीं है। नेताओं ने कहा कि विभिन्न सरकारी योजनाओं के अर्न्तगत सेवा देने वाले कर्मियों की मांग है कि उन्हें सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाये , समान कार्य के लिये समान वेतन मिले, छटनी पर रोक लगे और पेंशन आदि की सुविधा मिले । उन्होंने कहा कि ऐसे कर्मियों ने देशभर में 17 जनवरी को हड़ताल की और अपनी मांगों के संबंध में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा है । इसके बाद अब 29 जनवरी को जेल भरो अभियान का आयोजन किया गया है ।
शनिवार, 20 जनवरी 2018
आशा कार्यकर्ता ,रसोईया और आंगनबाड़ी सेविका मानव श्रृंखला का करेंगी बहिष्कार
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