दरभंगा : सामाजिक सरोकार एवं पत्रकारिता एक दूसरे के पर्यायवाची: डा. जितेन्द्र - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 20 जनवरी 2018

दरभंगा : सामाजिक सरोकार एवं पत्रकारिता एक दूसरे के पर्यायवाची: डा. जितेन्द्र

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दरभंगा 19 जनवरी, वरिष्ठ राजनीतिक चिंतक डा0 जितेन्द्र नारायण ने सामाजिक सरोकार एवं पत्रकारिता को एक दूसरे का पर्यायवाची बताया और कहा कि सामाजिक सरोकारों को व्यवस्था की दहलीज तक पहुंचाने और प्रशासन की जनहितकारी नीतियों तथा योजनाओं को समाज के सबसे निचले तबके तक ले जाने के दायित्व का निर्वाह ही सार्थक पत्रकारिता है।  श्री नारायण ने आज यहां जाने माने पत्रकार स्व. रामगोविंद प्रसाद गुप्ता के 22वें पुण्यतिथि पर तिरहुतवाणी परिसर में आयोजित ‘सामाजिक कुरीतियों का उन्मूलन एवं पत्रकारिता’ विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि सामाजिक सरोकारों को व्यवस्था की दहलीज तक पहुंचाने और प्रशासन की जनहितकारी नीतियों तथा योजनाओं को समाज के सबसे निचले तबके तक ले जाने के दायित्व का निर्वाह ही सार्थक पत्रकारिता है। यह पत्रकार का एक सबसे अहम दायित्व है। पत्रकारिता के इतिहास पर नजर डालें तो स्वतंत्रता के पूर्व पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य समाज में फैली कुरीतियों को उजागर करना ही था। इसका ज्वलंत उदाहरण राजा राम मोहन राय हैं जिन्होंने समाज में फैली सती प्रथा का अंत करवाया।  राजनीतिक चिंतक ने कहा कि आज के संदर्भ में यह कहना गलत नहीं होगा कि देश को कमजोर करने वाली शक्तियों ने भी भारतीय समाज के महत्व को पहचाना है। ऐसे में आज के पत्रकारिता पर भारतीय समाज को कुरीतियों से निकालने का दायित्व काफी महत्वपूर्ण है। भारत की पत्रकारिता इस बात को करने में बहुत हद तक सफल भी रही है। हाल में भारतीय महिलाओं द्वारा सम्मान के लिए लड़ी गयी लड़ाई (तीन तलाक) में पत्रकारों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।

विशिष्ट अतिथि के रूप में संगोष्ठी को संबोधित करते हुए बिहार राज्य उर्दू परामर्शदातृ समिति के उपाध्यक्ष डा. मुश्ताक अहमद ने कहा कि जो कार्य सार्वजनिक हित में नहीं होते है वही समाज की कुरीतियां कहलाती है। बुद्धिजीवी अपने कलम के दम पर उन कुरीतियों से लड़ते हैं और समाज को एक उचित दिशा की ओर ले जाने का प्रयास करते है। देश की पत्रकारिता का जो इतिहास है वो आरम्भ से ही सामाजिक सरोकार से जुड़ा रहा है। युवा चिंतक धीरेन्द्र झा ने कहा कि पत्रकारों को सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों को खास स्थान देना चाहिए। वर्तमान समाज में मौजूद कुरीतियों के खिलाफ पत्रकारों की लड़ाई जारी रहनी चाहिए। वर्तमान समय में बड़े-बड़े मीडिया हाउस कॉरपोरेट सेक्टर का रूप लेती जा रही है। ये कहीं-न-कहीं सामाजिक सरोकार को दबाती जा रही है, जो समाज को अंधकार की ओर धकेलने का काम कर रही है। संगोष्ठी को वरिष्ठ पत्रकार डा0 कृष्ण कुमार, डा. हरि नारायण सिंह, डा0 प्रेम मोहन मिश्रा, राजेश कुमार वोहरा समेत अन्य लोगों ने भी संबोधित किया।

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