पटना 04 जनवरी, बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) के अध्यक्ष अब्दुलबारी सिद्दीकी ने उच्चतम न्यायालय के भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को बिहार की टीम को रणजी ट्रॉफी और घरेलू टूर्नांमेंटों में खेलने की अनुमति प्रदान किये जाने के आदेश का स्वागत करते हुए आज कहा कि यह राज्य के युवा क्रिकेट खिलाड़ियों के लिये एतिहासिक दिन है और अब प्रदेश से भी एक बार फिर महेन्द्र सिंह धोनी जैसे प्रतिभावान खिलाड़ी उभर कर सामने आयेंगे। श्री सिद्दीकी ने यहां कहा कि इस संबंध में उच्चतम न्यायालय का फैसला बिहार के लिये ऐतिहासिक है। बिहार की टीम ने अंतिम बार वर्ष 2003-2004 में रणजी ट्रॉफी खेली थी और उस समय महेन्द्र सिंह धोनी ही टीम के कप्तान थे। उन्होंने कहा कि बीसीए वर्ष 1935 से है जिसका मुख्यालय पहले झारखंड के जमशेपुर में हुआ करता था। बीसीए अध्यक्ष ने कहा कि लम्बे समय के बाद जब बिहार का बटंवारा हुआ तब एक अलग राज्य झारखंड बना। बीसीए की 1935 वाली एकीकृत कमेटी की उस समय बैठक हुयी जिसमें तय किया गया कि बिहारऔर झारखंड दो अलग-अलग प्रदेश हो गये है इसलिये अलग-अलग क्रिकेट एसोसिएशन बनना चाहिए। इसके लिये 14 सदस्यों की एक कमेटी बनायी गयी जिसमें एसोसिएशन का स्वरूप और संविधान बनाने को कहा गया।
श्री सिद्दीकी ने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट के बाद बीसीए की विशेष वार्षिक आम बैठक बुलायी गयी। इस बैठक में तय हुआ था कि बीसीए बिहार के साथ रहेगा और झारखंड के लिए एक अलग क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ झारखंड (सीएजे) होगा। उन्होंने कहा कि दोनों प्रदेशों के एसोसिएशन के लिये पदाधिकारी भी नियुक्त किये गये। इसके बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव सर्वसम्मति से बीसीए के अध्यक्ष बनाए गए।
बीसीए अध्यक्ष ने कहा कि उसके बाद से बीसीसीआई में बीसीए को मान्यता देने को लेकर खींचतान चलती रही। पहली बार मान्यता मिलने के बाद भी स्थायी सदस्यता को रद्द कर दिया गया जिसके कारण बिहार के खिलाड़ियों के लिए रणजी ट्रॉफी के साथ ही अन्य घरेलू प्रतियोगिताओं में खेल पाना मुश्किल हो गया। इसके बाद एसोसिएशन ऑफ बिहार क्रिकेट (एबीसी) और क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार (सीएबी) जैसे गुट बन गये। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर एक अवकाश प्राप्त न्यायाधीश की देखरेख में बीसीए का चुनाव कराया, जिसके वह अध्यक्ष चुने गये ।
श्री सिद्दीकी ने कहा कि बीसीए अध्यक्ष के नाते उन्होंने सभी गुट से बिहार के क्रिकेट खिलाड़ियों और प्रदेश के युवा प्रतिभा को आगे बढ़ाने के लिये एकजुट होकर कार्य करने की अपील की है। इसके साथ ही बीसीसीआई की ओर से बीसीए को दी गई मान्यता को ध्यान में रखते हुए सभी गुट नये खिलाड़ियों की प्रतिभा निखारने में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि अब बिहार के खिलाड़ी भी रणजी के साथ ही आइपीएल टूर्नांमेंट में खेल सकेंगे। उन्होंने कहा कि यदि बिहार का विभाजन नहीं हुआ होता तो प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी धोनी को भी बिहार के नाम से ही दुनिया में जाना जाता। बिहार फिर से धोनी जैसे प्रतिभावान खिलाड़ी को उभारने में सफल होगा।
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