पुस्तक परिचय : बच्चों का अनोखा संसार है ‘घरौंदा’ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 28 मार्च 2018

पुस्तक परिचय : बच्चों का अनोखा संसार है ‘घरौंदा’

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आज के मोबाइल गेम, वीडियो गेम व भरे-पूरे कार्टून चैनलों के बीच बाल मनोविज्ञान को समझते हुए बच्चों पर केंद्रित तथा बच्चों को आकर्षित करने वाले बाल साहित्य या बाल पत्रिका का प्रकाशन किसी चुनौती से कम नहीं है। इस संदर्भ में हालिया प्रकाशित पुस्तक ‘घरौंदा’ निश्चित ही सराहनीय व संग्रहणीय है। नए पल्लव समूह के संस्थापक व प्रबंध संपादक राजीव मणि का नाम साहित्य के क्षेत्र में बिलकुल नया है, किंतु कम समय में ही उत्कृष्ट व बेहतर प्रबंधन के कारण अब वो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। राजीव जी ने जिस विष्वास के साथ घरौंदा के संपादन के लिए युवा संपादक प्रदीप कुमार षर्मा को चुना, अब यह साबित हो चुका है कि उनका यह परिपक्व निर्णय था। इस पुस्तक में 50 बाल रचनाकारों की रचनाएं शामिल हैं। इसके तहत बाल मनोविज्ञान को समझते हुए रचनाओं को शामिल किया गया है। चाहे शिक्षाप्रद कविताएँ व कहानियाँ हों या स्वच्छता अभियान को प्रोत्साहित करने वाली बालगीत या फिर हास्य-व्यंग्य, बुझौव्वल/पहेली हो या फिर रंग-भरो स्तंभ, सभी सामग्री एक से बढ़कर एक हैं। इस पुस्तक में कीर्ति श्रीवास्तव, राजकुमार जैन राजन, आकांक्षा यादव, अरुणिमा सक्सेना जैसे सुप्रसिद्ध साहित्यकारों के साथ-साथ मीनाक्षी पारिक, मंजू शर्मा जैसे नवोदित रचनाकार एवं बाल रचनाकार रिचा राठौड़ की स्तरीय रचनाओं का संकलन किया गया है।        

‘हिन्दी बाल साहित्य: भविष्य एवं सरोकार’ शोध आलेख के तहत परषोतम कुमार ने बालमन एवं बाल पत्रिकाओं के अंतर्संबंध को बेहतर ढंग से समझाने की कोशिश की है। ‘परीक्षा और आत्महत्या’ लघु टिप्पणी द्वारा अशोक चतुर्वेदी ने बच्चों को धैर्य का अनूठा संदेश दिया है। वहीं कीर्ति श्रीवास्तव ने ‘किसान’ कविता में बालमन के अनुरूप शब्द दिए हैं। इलेक्ट्रॉनिक बधाई संदेश पर तंज करते हुए विनोद कुमार विक्की ने ‘डिजिटल हैप्पी न्यू ईयर’ व्यंग्य लिखा है। राजेश सिंह की कविता ‘वजन से ज्यादा बस्ता भारी’, राजकुमार जैन राजन की ‘पेड़ बचाएं’, शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ. अखिलेश शर्मा की प्रेरक कविता ‘मंजिल’, मनोरंजन सहाय की ‘भगवत गीता के बारे में दी गई जानकारी’, कवि राधे की ‘चींटी से सीख’, दीक्षा चैबे की रचनाएं ‘राष्ट्रभाषा हिन्दी’ एवं ‘तिरंगा झंडा’ सहित तमाम रचनाकारों की उम्दा रचनाएँ पठनीय हैं। घरौंदा पुस्तक से प्रेरित हो कई बाल साहित्यकारों, शिक्षकों एवं संपादकों ने अखिल भारतीय स्तर पर ‘घरौंदा क्लब’ का भी निर्माण किया है, जिसके तहत बच्चों की प्रतिभा को उभारकर उसे सृजन के प्रति आकर्षित करने का सराहनीय व प्रशंसनीय कार्य किया जा रहा है। पुस्तक में विशेष तौर पर राजीव मणि की खोजी पत्रकारिता एवं कुशल प्रबंधन के सामंजस्य को दर्शाता है घरौंदा क्लब। बच्चों के लेखन व क्रियाकलापों का लेखाजोखा है घरौंदा क्लब। क्लब की गतिविधियों पर केन्द्रित आलेख की शानदार प्रस्तुति से इस पुस्तक का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। घरौंदा की उपलब्धि एवं सफलता से प्रभावित हो संपादकीय टीम जल्द ही घरौंदा की दूसरी सीरीज बाजार व बच्चों के बीच लाने का मन बना चुकी है। तनय प्रकाशन से प्रकाशित व रंगीन कार्टून से सुसज्जित कुल 176 पेज वाली आईएसबीएन संख्या प्राप्त इस रंगीन बाल साहित्य की कीमत मात्र 200 रुपये है।

परिचय
पुस्तक का नाम: घरौंदा (बाल पुस्तक)
प्रबंध संपादक: राजीव मणि
संपादक: डाॅ. प्रदीप कुमार षर्मा
प्रकाषक: तनय प्रकाषक
मूल्य: 200 रुपए
पुस्तक प्राप्ति: 9835265413.

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