शौचालय बनाने से हर परिवार को होगी 50 हजार की बचत : यूनीसेफ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 10 अप्रैल 2018

शौचालय बनाने से हर परिवार को होगी 50 हजार की बचत : यूनीसेफ

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पटना 09 अप्रैल, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) की भारत में प्रतिनिधि डॉ. यास्मीन अली हक ने आज कहा कि यदि हर परिवार शौचालय बनाकर उसका इस्तेमाल करे तो उन्हें सालाना 50 हजार रुपये की बचत हो सकती है। डॉ. हक ने यहां चलो चंपारण सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह के संदर्भ में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में शौचालय के आर्थिक महत्व का उल्लेख करते हुये कहा कि यूनीसेफ के एक सर्वेक्षण के अनुसार यह अनुमान लगाया गया है कि यदि हर परिवार शौचालय बनाता और उसका प्रयोग करता है तो वह सालाना 50000 रुपये बचा सकता है। उन्होंने कहा कि शौचालय निर्माण से ज्यादा महत्वपूर्ण, लोगों को उसका प्रयोग और उसकी सफाई के प्रति जागरूक करना हैं और इसमें मीडिया की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। यूनीसेफ प्रतिनिधि ने कहा कि यदि कोई स्वच्छता में एक रुपये का निवेश करता है तो उसे चार रुपये 30 पैसे का रिटर्न मिलता है। शौच के बाद और खाने से पहले हाथ धोने की आदतों को अपनाकर हम काफी हद तक बच्चों के स्वास्थ्य को और बेहतर कर सकते हैं। उन्होंने चलो चंपारण पहल के तहत स्वच्छाग्रहियों के बारे में बताते हुए कहा कि बिहार में देश के अलग-अलग हिस्सों से लगभग 10,000 स्चव्छाग्रही आए हैं जो गांव-गांव जाकर शौचालय के बारे में समुदायों को जागरूक कर रहे हैं।

डॉ. हक ने कहा कि स्वच्छ और सुरक्षित शौचालय हर बच्चे का अधिकार है। पांच साल से कम उम्र के बच्चों की होने वाली मौत का सबसे बड़ा कारण डायरिया है। खुले में शौच के कारण बच्चे डायरिया के शिकार हो रहे है तथा यह बच्चों में कुपोषण के स्तर को भी बढ़ा रहा है। कुपोषण केवल बच्चों के शारीरिक क्षमता ही नहीं बल्कि बौद्धिक क्ष्मता को भी प्रभावित करता है। बच्चे अपने पूरी क्षमता का प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं जिसका प्रभाव उनकी सीखने की क्षमता पर भी पर रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार में हर दूसरा बच्चा उम्र के अनुपात में कम लंबाई का शिकार है। यूनीसेफ इंडिया के वाॅश (वाटर, सैनिटेशन एवं हाईजिन) विशेषज्ञ सुजय मजूमदार ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान का लक्ष्य खुले में शौच से मुक्त समाज बनाना है। उन्होंने स्वच्छाग्रहियों की भूमिका के बारे में कहा कि भारत में लगभग छह लाख गांव हैं, जिनमें से चार लाख गांवों में स्वच्छाग्रही हैं। ये स्वच्छाग्रही गांवों में जाकर ट्रीगरींग और सीएलटीएस के माध्यम से समुदाय को शौचालय के प्रयोग और निर्माण के लिए जागरूक करते हैं। उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान के आंकड़ों के हवाले से कहा कि बिहार में पिछले एक सप्ताह में शौचालय निर्माण में काफी तेजी आई है। 08 अप्रैल 2018 को एक लाख शौचालय बनाने का काम पुरा हुआ है। यूनीसेफ बिहार के प्रमुख असदुर रहमान ने कहा कि अब तक स्वच्छता आंदोलन में मीडिया की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है। बिहार को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए अभियान में सहयोग देकर मीडियाकर्मी, मीडिया स्वच्छाग्रही बन सकते हैं। यूनिसेफ, लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान को तकनीकी सहयोग प्रदान करती है। इसमें व्यवहार परिर्वतन के लिए संचार सामग्रियों का निर्माण भी शामिल है।

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