बिहार : अब गेंद महाधर्माध्यक्ष के पाले में सभी लोगों को बुलाकर बैठक आयोजित करें - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 26 अप्रैल 2018

बिहार : अब गेंद महाधर्माध्यक्ष के पाले में सभी लोगों को बुलाकर बैठक आयोजित करें

  • हर साल की किचकिच दूर हो

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पटना। पटना महाधर्मप्रांत के  महाधर्माध्यक्ष, सभी पल्लियों के पल्ली पुरोहित , ईसाई मिशनरियों व ईसाई पब्लिक द्वारा संचालित सभी स्कूल के प्रिंसिपल, सभी मिशनरी संस्थाओं  के प्रोविंशियल, सभी धर्मप्रांतों के विकर जेनरल, ईसाई संगठन के प्रतिनिधि तथा ईसाई समुदाय के बुद्धिजीवी लोगों की आवश्यक संयुक्त बैठक हो तथा गंभीरता से शिक्षा तथा अन्य मसलों पर चर्चा कर समाज के हित में उचित निर्णय लिया जाए। अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण संघ ने   अफ़सोस जाहिर किया है कि यह सब देखकर। आजतक कभी भी सभी लोगों को बुलाकर इस तरह की कोई बैठक नहीं करायी गयी है।शायद मिशनरियों को ईसाई समुदाय के हित से कोई सरोकार न हो। इस बाबत अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण संघ ने सभी ख्याति प्राप्त ईसाई (मिशनरी) विद्यालयों के कर्ताधर्ताओं को मजबूती से यह बताना चाहता है कि हर वर्ष ईसाई बच्चों (विद्यार्थियों) का  मिशनरी स्कूलों में एडमिशन को लेकर परेशानी उत्पन्न होती है। सभी का एडमिशन नहीं हो पाता है। जबकि सर्वप्रथम ईसाई विद्यार्थियों को ही प्राथमिकता देनी चाहिए।जिनका एडमिशन नहीं हो पाता है।उनके लिए स्कूल द्वारा कुछ नकारात्मक कारण बताए जाते हैं। अगर अल्पसंख्यक के नाम पर मिशनरी स्कूल चलाने वाले अपने ईसाई विद्यार्थियों को सहयोग नहीं करेंगे,उन्हें प्रोत्साहित नहीं करेंगे,उनके कमियों को दूर करने में सहयोग नहीं करेंगे,साथ नहीं देंगे,तो फिर वे अल्पसंख्यकों के नाम पर स्कूल चलाने का उद्देश्य कहाँ पूरा कर रहे हैं।हर हाल में ईसाई विद्यार्थियों का नामांकन कर उन्हें प्रोत्साहित कर, कमजोर ईसाई विद्यार्थियों के लिए विशेष व्यवस्था कर योग्य विद्यार्थी बनाने का दायित्व निभाना चाहिए।तभी अल्पसंख्यक के नाम पर विद्यालय खोलने तथा चलाने का मकसद पूरा होगा।यह दलील देना कि ईसाई विद्यार्थी टेस्ट में पास नहीं कर पाए या उनका स्टैंडर्ड ठीक नहीं है या इससे स्कूल की प्रतिष्ठा पर असर पड़ेगा।इस तरह की दलील देना उचित नहीं है।बल्कि यह उनका कर्तव्य है कि हर परिस्थिति में अपने  स्कूल में ईसाई विद्यार्थियों का नामांकन करें ।अगर उनमें से किसी में कुछ कमी रहती है तो उसे दूर करने में सहयोग कर उनके उत्थान में सहयोगी बनें।न कि उनसे दूरी बनाकर उनका त्याग करें।आखिर हमारे मिशनरी स्कूलों में कितने प्रतिशत ईसाई विद्यार्थी पढ़ते हैं? हम उम्मीद करते हैं कि हमारे मिशनरी स्कूल, विशेषकर ख्याति प्राप्त मिशनरी स्कूल अविलम्ब इसपर ध्यान देंगे तथा तिरस्कार या उपेक्षा करने के बजाय अपने ईसाई विद्यार्थियों का शत प्रतिशत नामांकन कर उनके उत्थान पर विशेष ध्यान देंगे।अपने ईसाई विद्यार्थियों पर विशेष ध्यान नहीं देने की वजह से ही ईसाई विद्यार्थी उच्च श्रेणी के व्यक्ति(आई.पी. एस. आई.ए.एस , वकील,डॉक्टर ,प्रोफ़ेसर,इंजीनियर  वगैरह) न के बराबर बन पाते हैं।जबकि गैर ईसाई विद्यार्थी इन्हीं स्कूलों से शिक्षित होकर अच्छे तथा ऊँचे ओहदों पर पहुँच जाते हैं।अतः पुनः अपने मिशनरी स्कूलों से आग्रह है कि समय आ गया है कि अपने ईसाई विद्यार्थियों के शत प्रतिशत नामांकन एवं उनकी उचित शिक्षा पर ध्यान देते हुए उनके व्यक्तित्व को निखारने में सहयोग करें।नहीं तो कहीं ऐसा न हो जाए कि मजबूर होकर भुक्तभोगी लोग सड़क पर उतर कर अपनी आवाज बुलंद करने निकल पड़े।जयदीप का नामांकन संत माइकल हाई स्कूल, दीघा में नहीं होने पर उसके पिता दीपक कुमार ने बताया कि नामांकन नहीं होने पर प्रिंसिपल से मुलाक़ात करना चाहा।परंतु मेरे जैसे साधारण इंसान से  उन्होंने मुलाक़ात करना जरुरी नहीं समझा।क्या एक धर्मगुरु का अपने ईसाई समुदाय के प्रति इस तरह का नकारात्मक तथा उपेक्षित भावना रखना उचित है? अब यह जरुरी हो गया है कि पटना महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष गंभीर होकर गंभीरता से शिक्षा तथा अन्य मसलों पर चर्चा करने के लिये सामूहिक बैठक बुलाये व  समाज के हित में उचित निर्णय लें।

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