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शनिवार, 7 अप्रैल 2018

पेस ने विश्व रिकार्ड बनाया, भारत ने चीन को हराया

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तियानजिन , सात अप्रैल, भारत के दिग्गज टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस रिकार्ड 43 वीं जीत के साथ आज डेविस कप इतिहास में सबसे सफल युगल खिलाड़ी बने जबकि उसके बाद युवा रामकुमार रामनाथन और प्रजनेश गुणेश्वरन ने उलट एकल में जीत दर्ज की जिससे भारत ने चीन को रोमांचक मुकाबले में 3-2 से हराकर विश्व ग्रुप प्लेआफ में जगह बनायी।  भारत का सारा दारोमदार युगल मैच पर टिका था जो कि उसके लिये करो या मरो जैसा मुकाबला था। इसमें 44 वर्षीय पेस और रोहन बोपन्ना ने निराश नहीं किया तथा तीन सेट तक चले एक बेहद कड़े मैच में चीन के मो झिन गोंग और झी झांग की चीनी जोड़ी को 5-7, 7-6(5), 7-6(3) से हराकर एशिया ओसियाना ग्रुप एक मुकाबले में भारत की उम्मीदें जीवंत रखी।  पहले एकल में लचर प्रदर्शन के कारण कप्तान महेश भूपति की नाराजगी झेलने वाले रामकुमार रामनाथन ने इसके बाद अपना असली जलवा दिखाया और दी वू को 7-6(4), 6-3 से हराकर मुकाबले को 2-2 से बराबर कर दिया।  कप्तान भूपति ने इसके बाद पांचवें और निर्णायक मैच में सुमित नागल की जगह बायें हाथ के प्रजनेश गुणेश्वरन को उतारकर मास्टरस्ट्रोक खेला। उनका यह दांव सही साबित हुआ तथा चेन्नई के खिलाड़ी ने चीनी किशोर यिबिंग वू को 6-4, 6-2 से हराकर अपने कप्तान को निराश नहीं किया।  प्रजनेश को युकी भांबरी के पेट संबंधित बीमारी की वजह से हटने के कारण टीम में शामिल किया गया था। बायें हाथ के इस खिलाड़ी ने जानदार स्ट्रोक जमाये। प्रजनेश डेविस कप में अपना केवल दूसरा मैच खेल रहे थे। यह केवल दूसरा मौका है जबकि भारत डेविस कप इतिहास में पहले दोनों मैच गंवाने के बाद वापसी करके मुकाबला जीतने में सफल रहा। हालांकि यह जीत उसने नये प्रारूप में दर्ज की जिसमें क्षेत्रीय स्तर के मुकाबले ‘ बेस्ट ऑफ थ्री ’ प्रारूप में खेले गये। 

भारत अब लगातार पांचवीं बार विश्व ग्रुप प्लेआफ में खेलेगा। इससे पहले चार अवसरों पर उसे सर्बिया (2014), चेक गणराज्य (2015), स्पेन (2016) और कनाडा (2017) से हार का सामना करना पड़ा था। पिछली बार भारत 16 देशों के विश्व ग्रुप में 2011 में खेला था। तब वह सर्बिया से हार गया था।  रामकुमार और नागल दोनों के शुक्रवार को एकल मैचों में हारने के कारण भारत 0-2 से पीछे चल रहा था और उसे अपनी उम्मीदें जीवंत रखने के लिये युगल में हर हाल में जीत दर्ज करनी थी। विश्व ग्रुप प्लेआफ में जगह बनाने के लिये भारतीय युवा एकल खिलाड़ियों को अब उलट एकल के दोनों मैच जीतने होंगे।  डेविस कप में पिछले कई वर्षों से भारत के नायक रहे पेस लंबे समय से इटली के निकोला पीटरांजली के साथ 42 जीत की बराबरी पर थे लेकिन आखिर में वह उन्हें पीछे छोड़ने में सफल रहे। पेस ने 16 साल की उम्र में 1990 में जीशान अली के साथ डेविस कप में प्रवेश किया था। अब जीशान टीम के कोच हैं। इसके बाद उन्होंने महेश भूपति के साथ सफल जोड़ी बनायी जो अब टीम के कप्तान हैं।  अपने चमकदार करियर में पेस ने भूपति के साथ मिलकर डेविस कप में लगातार सबसे अधिक 24 मैच जीतने का रिकार्ड बनाया। इन दोनों खिलाड़ियों ने नब्बे के दशक के आखिरी वर्षों में एटीपी सर्किट पर धूम मचायी थी। 

बोपन्ना चीन के खिलाफ इस मुकाबले में पहले पेस के साथ खेलने के लिये तैयार नहीं थे लेकिन आज उन्होंने अच्छा खेल दिखाया। तीसरे सेट में सर्विस गंवाने के अलावा उनका सर्विस गेम बहुत अच्छा रहा। उनकी तीखी सर्विस से पार पाना चीनी खिलाड़ियों के लिये आसान नहीं रहा। दूसरी तरफ पेस ने नेट पर हमेशा की तरह बेहतरीन खेल दिखाया।  पहले सेट में एक दूसरे की सर्विस तोड़ने के बाद दोनों जोड़ियां 5-5 से बराबरी पर थी। तब 11 वें गेम में पेस ने सर्विस गंवायी। गोंग ने इसके बाद अगले गेम में अपनी सर्विस पर टीम को आगे कर दिया।  भारतीय खिलाड़ियों को ब्रेक प्वाइंट हासिल करने के अधिक मौके मिले लेकिन वे इसका फायदा नहीं उठा पाये। बोपन्ना की सर्विस हालांकि काफी तीखी थी जिन पर चीनी खिलाड़ी प्रभावशाली रिटर्न नहीं कर पाये। दूसरे सेट में कोई भी टीम ब्रेक प्वाइंट नहीं ले पायी।  गोंग ने 5-6 के स्कोर पर दबाव में सर्विस की। भारतीयों के पास एक सेट प्वाइंट भी था लेकिन वे इसका फायदा नहीं उठा पाये और सेट टाईब्रेकर तक खिंच गया। टाईब्रेकर भी काफी कड़ा रहा। इसमें पहले स्कोर 3-3 और फिर 5-5 रहा। बोपन्ना ने वॉली विनर से सेट प्वाइंट हासिल किया और पेस ने आसानी से अगला अंक बनाकर स्कोर बराबरी पर ला दिया।  तीसरे और निर्णायक सेट में भारतीय जोड़ी शुरू में 3-1 से आगे थी लेकिन इसके बाद उसने लगातार तीन गेम गंवाये जिससे स्कोर 3-4 हो गया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अब तक प्रभावशाली सर्विस करने वाले बोपन्ना छठे गेम में अपनी सर्विस नहीं बचा पाये थे।  पेस 5-6 के स्कोर पर सर्विस के लिये आये और एक समय स्कोर 0-30 था लेकिन वह आखिर में इस सेट को टाईब्रेकर तक खींचने में सफल रहे। भारतीयों ने अपने अनुभव का फायदा उठाकर यादगार जीत दर्ज की। 

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