एससी-एसटी कानून को कमजोर नहीं कर सकते : सुशील कुमार मोदी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018

एससी-एसटी कानून को कमजोर नहीं कर सकते : सुशील कुमार मोदी

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पटना 05 अप्रैल, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि केवल दुरुपयोग के आधार पर अनुसूचित जाति-जनजाति (एससी-एसटी) अत्याचार निवारण एक्ट को कमजोर नहीं किया जा सकता। श्री मोदी ने यहां पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम जयंती के मौके पर ‘टिकाऊ विकास के लक्ष्य’ शीर्षक विमर्श के उद्धाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश की कुल आबादी में करीब 25 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाली अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों का विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है। एससी/एसटी के संविधान प्रदत्त आरक्षण को कोई छीन नहीं सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि दुरुपयोग के आधार पर एससी- एसटी अत्याचार निवारण एक्ट को कमजोर नहीं किया जा सकता है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि साल 1979 में बने अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण कानून में 01 जनवरी, 2016 को संशोधन कर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने पहले की तुलना में इसे ज्यादा मजबूत, प्रभावी और कठोर बनाया है। इस वर्ग से आने वाले किसी व्यक्ति का बाल मुड़वा कर घुमाने, मृत जानवर या मानव शव ढुलवाने, मानव मल उठवाने, इस वर्ग की महिला को देवदासी बनाने, महिला के कपड़े उतरवाने एवं चुनाव में नामांकन करने से रोकने को भारतीय दंड विधान की अनेक धाराओं को जोड़ते हुए इसे अपराध की श्रेणी में लाया गया है।

श्री मोदी ने कहा कि एससी-एसटी से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालत और अलग से लोक अभियोजक को तैनात कर चार्जशीट दाखिल होने के दो महीने के अंदर मुकदमे के निस्तारण का प्रावधान भी किया गया है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी एससी-एसटी के आरक्षण में जहां क्रीमी लेयर का विरोधी है, वहीं प्रोमोशन में आरक्षण की पक्षधर है। प्रोन्नति में आरक्षण के मामले को सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से रखा गया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार एक्ट को पूर्ववत प्रभावी बनाये रखने, प्रोन्नति में आरक्षण एवं यूजीसी के अन्तर्गत प्राध्यापकों की नियुक्ति के मामले में लम्बी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है। भाजपा नेता ने कहा कि पंजाब में 32 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश में 25, पश्चिम बंगाल में 24 और उत्तर प्रदेश में 21 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति की है। यह समाज पिछड़ेपन के लिए खुद दोषी नहीं है बल्कि सदियों से इन्हें शिक्षा, सम्पति और सत्ता के अधिकार से वंचित रखा गया। इनका विकास किये बिना देश के टिकाऊ विकास के लक्ष्य को हासिल करना संभव नहीं है। 

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