बिहार : एससी/एसटी एक्ट को मूल रुप में पुर्नस्थापित करने को लेकर राज भवन मार्च - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 1 मई 2018

बिहार : एससी/एसटी एक्ट को मूल रुप में पुर्नस्थापित करने को लेकर राज भवन मार्च

  • सुप्रीम कोर्ट के एक्ट विरोधी निर्णय के खिलाफ प्रतिरोध दिवस आयोजित

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पटना , 1 मई 2018 , छब्ैच्व्। दृ अनुसूचित जाति/जन जाति अत्याचार निवारण अधिनियम सशक्तिकरण के लिए राष्ट्ीय गठबंधन की बिहार इकाई के बैनर तले मंगलवार को सूबे की राजधानी पटना में एससी/एसटी एक्ट को मूल रुप में पुर्नस्थापित करने सहित सात सूत्री मांगों को लेकर गांधी मैंदान से राज भवन तक ‘‘राज भवन मार्च’’ निकाला गया तथा सुप्रीम कोर्ट के एक्ट विरोधी फैसले के खिलाफ काली पट्टी बांध कर प्रतिरोध दिवस मनाया गया । मार्च निकालने के पूर्व गांधी मूर्ति के समीप जनसंवाद एवं सांस्कृति कार्यक्रम आयोजित किया गया । घरेलू महिला कामगार संगठन द्वारा विद्यालय में भेद भाव एवं दलित मजदूरों के साथ अत्याचार पर नुक्कड़ नाटक का मंचन किया गया । आयोजित जन संवाद को संबोधित करते हुए वक्ताओ ने एससी/एसटी एक्ट पर गत 20मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा फौजदारी अपील सं0 418/18 कांशी नाथ महाजन बनाम महाराष्ट् सरकार की याचिका पर सुनवाई के पश्चात् दिये गये फैसला को काफी दुखदायी एवं संविधान विरोधी करार देते हुए कहा कि कोर्ट के उक्त फैसले से दलितो एवं आदिवासियों पर अत्याचार की घटनाएं काफी बढंगी । अब करीब 30करोड़ दलितो एवं आदिवासियो की अस्मिता खतरे मे पड़ गयी है। फैसले से एससी/एसटी एक्ट पर माननीय न्यायधीशो द्वारा यह तर्क दिया जाना कि एक्ट का मिसयूज किया जाता है हास्यास्पद है। सच्चाई तो यह है कि उक्त कानून का यूज ही नहीं होता । एनसीएसपीओ जिसमें देश के 500 संगठन शामिल है द्वारा सुप्रीम कोर्ट के उक्त निर्णय के खिलाफ राष्ट् व्यापी प्रतिरोध दिवस आयोजित करने के समर्थन में बिहार मे भी उक्त कार्य क्रम आयोजित किया गया । आन्दोलनकारी केन्द्र सरकार एवं आरएसएस बिरोधी नारे लगा रहे थे और एससी/एसटी एक्ट को लागू करने एवं एक्ट के विरुद्ध फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे थे । कार्यक्रम मे महिलाओ की भागीदारी अधिक थी । 

बाद में एक शिमंडल बिहार के महामहिम राज्य पाल सत्यपाल मलिक से मिल कर अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन सौपा इनकी मांगों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 एवं संशोधन अधिनियम 2015 को मूल रुप में पुर्नस्थापित करने हेतु आदेश पारित कराने , एक्ट को संविधान की 09 सूची में शामिल करने , अर्टनी जेनरल के माध्यम से एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट के वृहद बंेच मे शामिल करने , एक्ट को सख्ती से व्यवहार मे लागू करने के लिए सख्त कदम उठाने , 02 अप्रील 2018 के भारत बन्द के आन्दोलनकारियों के विरुद्ध दर्ज तमाम मामले को बिना शर्त निरस्त करने एवं जेल में बन्द आन्दोलन कारियों को तुरंत रिहा करने आदि मांगें शामिल थी । शिष्टमंडल में एनसीएसपीओए के प्रदेश संयोजक विद्यानन्द राम, लोकतांत्रिक न्याय मंच के पंकज स्वेताभ, पदमश्री सुधा वर्गीज, राष्ट्ीय श्रमिक  संघ के विन्देश्वरी प्रसाद सिंह, दलित अधिकार मंच के कपिलेश्वर राम, लोक परिषद के रुपेश कुमार ,पूर्वमंत्री श्याम रजक , पूर्वविधान सभा अध्यक्ष उदनारायण चैधरी आदि शामिल थे । महामहिम राज्यपाल ने मांगों के समर्थन में अपने स्तर से आवश्यक कार्रवाई करने एंव ज्ञापन को महामहिम राष्ट्पति , माननीय प्रधान मंत्री एवं  माननीय मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय को भेजने का आश्वासन दिया । 

उक्त अवसर पर मुख्य रुप से विधायक सुधांशु शेखर , लोक मंच के फादर अंटो जोसेफ, बिहार अम्बेडकर विद्यार्थी मंच के निदेशक सत्येन्द्र कुमार एवं मनोज कुमार निराला ,घरेलू महिला कामगार यूनियन के सिस्टर लीमा , एडमम के प्रदेश संयोजिका अधिवक्ता गौरी कुमारी ,एनसीडीएचआर के जगजीत राम ,एकता परिषद की मंजू डूगडूग, बचपन बचाओ के संयोजक मोख्तारुल हक , लोक परिषद अरसद अजमल, दलित समन्वय के निदेशक महेन्द्र कुमार रोैशन , बिहार विकलांग अधिकार मंच के राकेश कुमार, असंगठित क्षेत्र कामगार संगठन के राज्य संयोजक विजय कान्त, सुनिल बसु , लोकतांत्रिक न्याय मंच के अजय कुमार, बिहार विमेन्स नेटवर्क के नीलू, भोजन के अधिकार अभियान रितविज कुमार , आॅल इंडिया दलित आदिवासी एक्शन फोरम के राजेश दास, शहरी गरीब संगठन के प्रभाकर कुमार , लोकतांत्रिक जन पहल से सत्यनारायण मदन एवं विनय ओहदार , शौरभ कुमार , आरक्षण बचाओ एवं संविधान बचाओ मोर्चा के गजन्द्र माझी, दासरा के उदय कुमार सहित अन्य गणमाण्य लोग उपस्थि थे । 

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