भाकपा-माले ने कहा है कि 21 मई को नीतीश कुमार ने पटना में सभ्यता द्वार का लोकार्पण करते हुए बिहार के ‘समृद्ध और सकारात्मक’ इतिहास की चर्चा की और इस क्रम में उन्होंने चाणक्य, चन्द्रगुप्त, अशोक, गुरुनानक, गांधी और कुवंर सिंह का नाम लिया. लेकिन 1857 के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन के नायक पीर अली और ग्रैंड ट्रक रोड का निर्माण करने वाले शासक शेरशाह का नाम लेना छोड़ दिया. जबकि जिस स्थान पर वे सभ्यता द्वार का उद्घाटन कर रहे थे, ठीक उसके सामने पीर अली का पार्क है. विदित हो कि 1857 की स्वतंत्रता की पहली लड़ाई में ब्रिटिश शासकों ने ठीक उसी स्थान पर पीर अली को फांसी के तख्तों पर चढ़ा दिया था. इससे साफ जाहिर होता है कि नीतीश कुमार आज पूरी तरह संघ-भाजपा के एजेंडे पर काम कर रहे हैं और संघ द्वारा इतिहास को बिगाड़ने के कुत्सित अभियान का हिस्सा बन रहे हैं. अन्यथा कोई कारण नहीं है कि बिहार के समृद्ध व सकारात्मक इतिहास पर बात करते हुए पीर अली जैसे जनता के नायकों को भूला दिया जाए. भाकपा-माले इसे नीतीश कुमार का दोमुंहापन करार देती है. ये भी कहा कि संघ-भाजपा अथवा नीतीश कुमार के चाहने भर से इतिहास में उन व्यक्तियों की भूमिका को कत्तई नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, जिनकी आज महज इसलिए उपेक्षा की जा रही है कि वे किसी दूसरे धर्म से संबंध रखते हैं. दरअसल, विभिन्न धर्मों का समन्वित विकास और गंगा-जमुनी तहजीब ही हमारा सकारात्मक इतिहास रहा है.
मंगलवार, 22 मई 2018
बिहार : पूरी तरह संघ-भाजपा के दबाव में हैं नीतीश, पीर अली का नाम लेना भी उचित नहीं समझा.
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