पटना 30 मई, बिहार के उप मुख्यमंत्री एवं भारीतय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रम में जाने के निर्णय की आलोचना करने वालों को करारा जवाब देते हुये आज कहा कि उन्होंने यह फैसला कर लोकतंत्र में राजनीतिक छुआछूत को समाप्त करने का संदेश दिया है। श्री मोदी ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर ट्वीट कर कहा, “श्री मुखर्जी ने आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने का निर्णय कर जहां देश के बहुदलीय लोकतंत्र में राजनीतिक छुआछूत को समाप्त करने का संदेश दिया, वहीं संघ ने उन्हें आमंत्रित कर सभी विचारों का आदर करने के आदर्श का पालन किया है।” उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति के निर्णय का स्वागत करने की बजाय दुष्प्रचार की राजनीति करने वालों की छाती फट रही है। भाजपा नेता ने कहा कि संघ के संस्थापक सरसंघचालक डाॅ. के. बी. हेडगेवार के आग्रह पर वर्ष 1934 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने वर्धा में आयोजित संघ के प्रशिक्षण शिविर में भाग लिया था। गांधी जी ने 16 सितंबर 1947 को दिल्ली में संघ के स्वयंसेवकों को संबोधित किया था। उन्होंने कहा कि वर्ष 1963 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के आमंत्रण पर संघ के स्वयंसेवक गणतंत्र दिवस की परेड में सम्मिलित हुए। संघ के वरिष्ठ नेता एकनाथ रानाडे का आमंत्रण स्वीकार कर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने विवेकानंद शिलास्मारक का उद्घाटन किया था। उन्होंने कहा कि गांधी और नेहरू के बारे में भी न जानने वाले कांग्रेसी श्री मुखर्जी पर सवाल उठा रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि बिहार आंदोलन के दौरान आरएसएस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी और लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने वर्ष 1977 में संघ के कार्यक्रम में शामिल होकर राजनीतिक दलों के बीच वैचारिक संवाद बढ़ाने का संदेश दिया था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संकट, आपातकाल और प्राकृतिक आपदा के समय देश के साथ खड़े रहने वाले संघ को बदनाम करने की साजिश कभी कामयाब नहीं होगी।
गुरुवार, 31 मई 2018
प्रणव का निर्णय राजनीतिक छुआछूत खत्म करने का संदेश : सुशील मोदी
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