- प्रत्येक दिन मुट्ठीभर चावल जमा करते हैं जनांदोलन के नाम पर
गया.बिहार से पांच हजार की संख्या में सत्याग्रही जनांदोलन 2018 में शिरकत करेंगे. देश-प्रदेश-विदेश के सत्याग्रही हरियाणा प्रदेश के पलवल में महाजुटान करेंगे. तब सत्याग्रही महात्मा गांधी जी के जन्मोत्सव पर 2 अक्टूबर 2018 को कूच करेंगे. यहां से जनांदोलन सत्याग्रही पांव- पांव चलकर दिल्ली जाएंगे. जन संगठन एकता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रदीप प्रियदर्शी ने कहा कि प्रदेश के 20 जिले में जन संगठन कार्यशील है.शेष 18 जिले में समान विचार जन संगठन कार्यशील और तैयारी करने में जुटे हैं.कुल 38 जिले से सत्याग्रही जन आंदोलन में शिरकत करेंगे. गया के अनिल पासवान, अरवल के गणेश दास, बक्सर के रंजीत राजभर, सहरसा के कौशल किशोर, मधेपुरा के सुनील कुमार, सुपौल के भोलेश्वर, बांका की वीणा हेम्ब्रम, पूर्वी चम्पारण के श्यामनदंन सिंह आदि कर्मठ नेता बिहार से पांच हजार की संख्या में सत्याग्रहियों को ले जाएंगे. इससे आगे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रदीप प्रियदर्शी ने कहा कि 2007 में जनादेश और 2012 में जन सत्याग्रह पदयात्रा सत्याग्रह की गयी.दोनों आंदोलन में राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति बनाने के साथ अन्य मांग की गयी.जो लगभग 11साल के बाद मांग पूर्ण नहीं की गयी. उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर से जनांदोलन 2018 पदयात्रा सत्याग्रह शुरू होगी. 6 सूत्री मांग यथा राष्ट्रीय आवासीय भूमि अधिकार कानून की द्योषणा एवं क्रियान्वयन,राष्ट्रीय कृषक हकदारी कानून की द्योषणा एवं क्रियान्वयन,राष्ट्रीय भूमि नीति की द्योषणा व क्रियान्वयन,भारत सरकार द्वारा पूर्व में गठित राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद और राष्ट्रीय भूमि सुधार कार्यबल समिति को सक्रिय करना, वनाधिकार कानून -2006 और पंचायत (विस्तार उपबन्ध) अधिनियम -1996 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय व प्रांतीय स्तर पर निगरानी तंत्र की स्थापना और भूमि संबंधी विवादों के शीघ्र समाधान के लिए त्वरित न्यायालयों का संचालन को लेकर पलवल (हरियाण) से दिल्ली तक पदयात्रा करेंगे. इस बार जनांदोलन 2018 को गांव के लोग सफल बनाएंगे. जमीन /द्यर संबंधी नियम-कानून बनवाने के लिये हरियाणा (पलवल) से दिल्ली ले जाने को तैयार हैं.गांव-गांव में अनाज कोष तैयार किया जा रहा है.तैयारी बैठक में शामिल होने वाले लोग द्यर से अनाज लाकर अनाज कोष में दान देते हैं. वहीं द्यर में द्यड़ा रखते हैं ,उसी में खाना बनाते समय 'मुट्ठीभर' चावल निकालकर द्यड़ा में डालते हैं.द
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