- देश के कई संगठनों ने मिलकर बनाया - जन एकता जन आंदोलन अभियान (जेजा).
- कन्वेंशन में 16 से 22 मई तक पोल खोल हल्ला बोल अभियान और 23 मई को पटना में विशाल प्रतिरोध सभा को सफल बनाने पर हुई बातचीत.
पटना (आर्यावर्त डेस्क) मोदी सरकार के खिलाफ देश के कई ट्रेड यूनियनों, जनसंगठनों, सामाजिक संगठनों और मुद्दा विशेष को लेकर आंदोलनरत सामाजिक समूहों ने जनाधिकारों पर बढ़ते हमले के खिलाफ देश, समाज और लोकतंत्र-संविधान को बचाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक बृहत्तर मंच जन एकता जन अधिकार आंदोलन का गठन किया है, जिसे संक्षेप में जेजा नाम दिया गया है. यह मंच मोदी सरकार के विनाशकारी 4 साल के खिलाफ जनसमुदाय में व्यापक जनअभियान संचालित करेगा. आज पटना के छज्जूबाग में इसके बिहार चैप्टर की बैठक हुई और राष्ट्रीय स्तर पर तय निर्णयों को मजबूती व प्रभावी तरीके से लागू करने पर गंभीर बातचीत हुई. ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, किसान नेता रामाधार सिंह, किसान नेता ललन चैधरी, एआईएमयू के नृपेन कृष्ण महतो और सूर्यंकर जितेन्द्र की पंाच सदस्यी टीम ने कन्वेंशन की अध्यक्षता की. कन्वेंशन का संचालन खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा व सीटू के गणेश प्रसाद सिंह ने किया.
कन्वेंशन में राष्ट्रव्यापी संयुक्त अभियान के तहत 16 से 22 मई तक मोदी सरकार के खिलाफ पोल खोल - हल्ला बोल कार्यक्रम को प्रभावी तरीके से जिलों में संचालित करने तथा 23 मई को पटना में आयोजित विशाल प्रतिरोध सभा को सफल बनाने के विभिन्न पहलूओं पर बातचीत हुई. इसे लेकर जेजा ने 26 सूत्री मांग पत्र भी जारी किया है. विभिन्न संगठनों से जुड़े वक्ताओं ने कहा कि समय आ गया है कि मोदी सरकार के खिलाफ एकताबद्ध लड़ाई लड़ी जाए और इस तानाशाह-फासीवादी सरकार को उखाड़ फेंका जाए. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का चार साल - देश के लिए बेहद निराशाजनक दौर रहा है. समाज का संपूर्ण ताना-बाना, संविधान, लोकतंत्र आदि खतरे में पड़ गया है और भाजपा-संघ के लोग नफरत, उन्माद व उत्पात के जरिए देश में सांप्रदायिक विभाजन की राजनीति कर रहे हैं. मजदूरों-किसानों के अधिकारों पर हमले हो रहे हैं. बेरोजगारी बढ़ रही है. आमलोगों के भूमि, आवास, भोजन, शिक्षा-स्वास्थ्य, रोजगार और पेंशन अधिकार छीने जा रहे हैं. वहीं राष्ट्रीय धरोहरों, संपदाओं और कंपनियों को औने-पौने दाम पर बेचा जा रहा है. भाजपा द्वारा न्यायपालिका, चुनाव आयोग और सीबीआई जैसे चोटी के प्रतिष्ठित संस्थाओं का खुलकर इस्तेमाल किया जा रहा है.
बिहार की भाजपा-जदयू सरकार की जनविरोधी कार्रवाइयांे को अंजाम दे रही है. दलित-गरीबों को भूमि और आवास से बेदखल किया जा रहा है. आधार कार्ड के नाम पर राशन-किरासन-पेंशन-मनरेगा पर रोक लगा दी गई है. किसानों की फसल क्षति-कर्ज माफी को लेकर बेरूखी है और गन्ना किसानों का बकाया कब से लंबित है. स्कीम वर्करों को न्यूनतम मजदूरी नहीं मिल रही है. न्यायालय के आदेश के बावजूद र समान काम के लिए समान वेतन नहीं मिल रहा है. लूट-भ्रष्टाचार भी संस्थाबद्ध हो गया है. ये सब मुद्दे हमारे अभियान के मुद्दे होंगे. 16 से 22 मई तक चलने वाले अभियान में हम गांव-गांव जायेंगे और मोदी सरकार के खिलाफ जनमत का निर्माण करेंगे. गांवों से जनमत का निर्माण करते हुए 23 मई को पटना के गांधी मैदान में ऐतिहासिक प्रतिरोध सभा होगी. आज के कन्वेंशन को अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह, बिहार राज्य किसान सभा के महामंत्री अशोक प्रसाद सिंह, बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ की बिहार राज्य अध्यक्ष शशि यादव, अनुबंध-मानदेय कर्मचारी मोर्चा के नेता रणविजय कुमार, डीवाईएफआई के मनोज कुमार चंद्रवंशी, इनौस के नवीन कुमार, एआईडीवाईओ के अनिल कुमार चांद, एआईवाईएफ के रौशन कुमार, अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के विश्वनाथ सिंह, एआईएमएसएस केे बिहार राज्य सचिव अनामिका, खेतिहर मजदूर यूनियन के भोला प्रसाद, एटक के नारायण पूर्वे, आइसा के बिहार राज्य अध्यक्ष मोख्तार, एआईएसएफ के बिहार राज्य सचिव सुशील कुमार, एआईडीएसओ के निकोलोई शर्मा, सीटू के दीपक भट्टाचार्य, ऐडवा की गीता सागर, एआईएमयू के नृपेन्द्र कृष्ण महतो आदि वक्ताओं ने संबोधित किया. इनके अलावा कार्यक्रम में आइसा के बिहार राज्य सचिव शिवप्रकाश रंजन, जसम के संतोष सहर व संतोष झा, किसान सभा के रवीन्द्र नाथ राय, मो. दानिश, रामजी यादव, रविन्द्र यादव, अखिल भारतीय किसान महासभा के बिहार राज्य सचिव रामाधार सिंह व अध्यक्ष विशेश्वर प्रसाद यादव,सहित कई लोग कन्वेंशन में शामिल थे., रणविजय कुमार, जन एकता जन अभियान, बिहार समन्वय की ओर से.
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