नई दिल्ली, 15 जून, इलाहाबाद उच्च न्यायालय से 40 वर्ष पुराने हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए 93 वर्षीय एक बुजुर्ग ने इसके खिलाफ शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। वर्तमान में जेल में बंद रोहतास के वकीलों यदुनंदन बंसल और अमित कुमार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 12 फरवरी के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है और न्यायमूर्ति यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की अवकाश पीठ से मामले को अति महत्वपूर्ण दर्जे में रखने का आग्रह किया। सर्वोच्च न्यायालय ने अधिवक्ताओं से 18 जून से शुरू हो रही अगली अवकाश पीठ के समक्ष मामले को रखने के लिए कहा है। रोहतास के वकीलों ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल कई बीमारियों से जूझ रहे हैं, जिसके कारण उनके शरीर के दायें भाग पर उनका नियंत्रण नहीं है और उनकी स्वास्थ्य जांच के अनुसार उनके दिमाग में कोई अवरोध आ गया है, जिसके कारण वे कोमा में जा सकते हैं या उनका पूरा शरीर लकवाग्रस्त हो सकता है। मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इसी वर्ष 12 फरवरी को रोहतास और दो अन्य आरोपियों की याचिका खारिज कर दी थी। 1983 में एक निचली अदालत ने इन लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। पुलिस के अनुसार, 29 सितंबर, 1978 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में फसल की कटाई को लेकर दो पक्षों में मारपीट हुई थी, जिसमें कुछ लोग घायल हो गए थे। रोहतास और अन्य ने विरोधियों पर हमला कर दिया था, जिसमें बाद में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। आरोपी ने कहा कि उन्होंने उच्च न्यायालय में आरोपों से इंकार करते हुए कहा था कि उन्होंने आत्मरक्षा में ऐसा किया था। आरोपियों में से एक व्यक्ति भी गंभीर रूप से घायल हो गया था और उसने मामला दर्ज कराया था।
शनिवार, 16 जून 2018
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आजीवन कारावास के खिलाफ 93 वर्षीय बुजुर्ग पहुंचा सर्वोच्च न्यायालय
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