चंडीगढ़, 27 जून, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बुधवार को चेताया कि राज्य का नाम का अर्थ भले ही पांच नदियों की भूमि हो, लेकिन हो सकता है कि अगले 15 वर्षो में इस कृषि-प्रधान राज्य में पानी ही न रह जाए। अमरिंदर ने कहा, "पंजाब यदि स्थिति पर नियंत्रण के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो अगले 15 वर्षो में पंजाब में पानी नहीं रह जाएगा।" अमरिंदर ने घटते जलस्तर पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा, "भूजल स्तर में भारी गिरावट के कारण देश में पंजाब के पास डार्क जोन का प्रतिशत सर्वोच्च है।" भूजल प्रबंधन निदेशालय के मिशन निदेशक, अरुंजित सिंह मिगलानी ने कहा, "पंजाब में भूजल दोहन की दर सबसे अधिक है, और 2008-2013 के दौरान इसका औसत 2.82 करोड़ एकड़ फीट था, और वार्षिक औसत पुनर्भरण मात्र 1.89 करोड़ एकड़ फीट था, जो कि दोहन और पुनर्भरण में एक गंभीर अंतर को दर्शाता है।" अमरिंदर ने जल संरक्षण के लिए एक मास्टर प्लान की जरूरत को रेखांकित किया और सुझाव दिया कि जल संरक्षण को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए, ताकि बच्चों को भूजल बचाने के महत्व के बारे में जागरूक किया जा सके। अमरिंदर ने इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए किसानों से ट्यूबवेल के बदले नहरों से सिंचाई करने की अपील की।
गुरुवार, 28 जून 2018
पंजाब में 15 वर्षो में पानी नहीं रह जाएगा : अमरिंदर सिंह
Tags
# देश
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
देश
Labels:
देश
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
संपादकीय (खबर/विज्ञप्ति ईमेल : editor@liveaaryaavart या वॉट्सएप : 9899730304 पर भेजें)

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें