अपराध, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता से समझौता नहीं : नीतीश कुमार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 19 जून 2018

अपराध, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता से समझौता नहीं : नीतीश कुमार

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पटना 18 जून, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर चेतावनी देते हुये आज कहा कि वह किसी भी सूरत में अपराध, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता से समझौता नहीं करेंगे। श्री कुमार ने यहां अनुग्रह जयंती-सह-स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन करने के बाद आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा, “मैं अपराध, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता किसी भी सूरत में समझौता नहीं करुंगा। जब कोई मेरी प्रशंसा करता है तो मैं असहज महसूस करता हूं। न्याय के साथ विकास और लोगों की सेवा करने के लिए मैं प्रतिबद्ध हूं।” मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं की मांग पर ही बिहार में शराबबंदी लागू की गई। इससे पूरे राज्य में शांति का माहौल है, गरीब तबका काफी राहत महसूस कर रहा है लेकिन कुछ दो नम्बर के धंधेबाज चोरी छुपे शराब का सेवन करते हैं, वे शराबबंदी को अपनी लिबर्टी से जोड़कर देखते हैं। उन्होंने कहा कि शराब का सेवन या उसका कारोबार किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी इसे साफ कर दिया है। उन्होंने कहा कि हत्या के मामले में आजीवन कारावास और फांसी का प्रावधान है, धारा-302 है, इसके बाद भी पूरे देश में रोजाना हत्याएं हो रही हैं क्योंकि कुछ लोगों की मानसिकता होती है कानून का उल्लंघन करने की। 

श्री कुमार ने कहा कि बाल विवाह और दहेज प्रथा दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। कम उम्र में शादी होने से प्रसव के दौरान महिलाएं मौत की शिकार हो जाती हैं और उनसे जो बच्चे पैदा होते हैं, वे कई तरह की बीमारियों से जूझते हुए पाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि सात निश्चय योजना के जरिये हर घर नल का जल, हर घर तक पक्की गली और नाली का निर्माण, हर घर शौचालय निर्माण, हर गांव-टोले तक पक्की सड़क का निर्माण का काम पूरी जिम्मेवारी और निष्ठा के साथ किया जा रहा है।  मुख्यमंत्री ने कहा कि सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए समाज सुधार का काम हो रहा है और दहेज मुक्त समाज बने इसके लिए हर व्यक्ति को आगे आकर पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार का इतिहास पूरे देश, पूरे आर्यावर्त और कई मायनों में पूरी सभ्यता और पूरी मानव जाति का इतिहास है। उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने का उनका अभियान निरंतर जारी रहेगा और इसको लेकर नीति आयोग की बैठक में भी उन्होंने तर्क दिया है। उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के वक्तव्य का जिक्र करते हुए कहा कि गांधी जी कहा करते थे कि कि सेवा करो तुम ट्रस्टी हो। अपने प्रचार के लिए हम पैसे खर्च नहीं करने वाले क्याेंकि हमें काम करने पर भरोसा है, विज्ञापन पर नहीं। उन्होंने कहा कि तेलंगाना का विज्ञापन पटना में देने का क्या मतलब है। उन्होंने कहा कि गांधी जी के सिद्धांतों को हम मानते हैं और उसी मार्ग पर चलेंगे। श्री कुमार ने कन्या उत्थान योजना का जिक्र करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य बाल विवाह को रोकना है। इस योजना के तहत दो वर्ष की उम्र पूरा करने वाली बालिकाओं को राज्य सरकार की ओर से 5000 रुपये दी जायेगी, जिसमें लड़की पैदा होने के वक्त उसके माता-पिता के खाते में 2000 रुपये, एक साल बाद आधार से लिंक होने पर 1000 रुपये और दो वर्ष की अवधि तक पूर्ण टीकाकरण होने पर पुनः 2000 रुपये उपलब्ध कराये जायेंगे। उन्होंने कहा कि इस योजना से लिंग अनुपात सुधरेगा, भ्रूण हत्या में कमी आएगी, बाल विवाह रुकेगा तथा लड़कियां शिक्षित होंगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके अलावा पहले से चल रही पोशाक योजना की राशि में भी बढ़ोत्तरी की गयी है, जिसमें कक्षा एक एवं दो में पढ़ने वाली लड़कियों को 400 रुपये की जगह 600 रुपये, कक्षा तीन से पांच में पढ़ने वाली बालिकाओं को 500 के बजाये 700 रुपये, कक्षा छह से आठ में पढ़ने वाली छात्राओं के लिए 700 की जगह 1000 रुपये और कक्षा नौ से 12 वीं में पढ़ने वाली छात्राओं को अब 1000 रुपये की जगह 1500 रुपये की राशि पोशाक के लिए प्रदान की जाएगी। किशोरी स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सातवीं से 12वीं में पढ़ने वाली लड़कियों को सैनेटरी नैपकिन के लिए पहले जहां 150 रुपये सालाना दिये जाते थे, अब उसकी जगह उन्हें 300 रुपये प्रदान किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि बाल विवाह पर लगाम लगाने के लिए इंटरमीडिएट पास करने वाली अविवाहित लड़कियों को 10000 रुपये प्रदान करने का राज्य सरकार ने फैसला लिया है, वहीं स्नातक करने वाली लड़कियों को 25000 रुपये प्रदान करने का भी राज्य सरकार ने निश्चय किया है, वह चाहे कुंवारी हो या विवाहित। इस प्रकार एक बेटी के पैदा होने से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने तक सरकार उन पर 54100 रुपये खर्च करेगी। श्री कुमार ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में लिए गये निर्णयों का जिक्र करते हुए कहा कि बिहार पहला राज्य है, जहां पंचायतों एवं नगर निकाय चुनावों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया, जिसका नतीजा है कि आधी से ज्यादा महिलायें चुनाव जीतकर आईं। उन्होंने कहा कि जीविका समूहों के माध्यम से भी महिलाओं को सशक्त बनाया जा रहा है। शुरुआती दौर में राज्य के सात जिलों में 44 समूहों के जरिये जीविका नाम से महिलाओं का समूह बनाकर उनके उत्थान के लिए काम शुरू किया गया। बिहार के जीविका मॉडल को केन्द्र सरकार ने भी अपनाया और इसे आजीविका नाम दिया। उन्होंने कहा कि महिलाओं की भूमिका के बिना विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। 

मुख्यमंत्री ने कहा, “वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान 218 जगहों पर अपने भाषण में हमने स्टुडेंट क्रेडिट कार्ड का जिक्र किया था, जिसमे इंटर से आगे की किसी भी तरह की पढ़ाई करने वाले छात्रों को चार लाख रुपये तक का ऋण देने का प्रावधान है। इसके लिए बैंकों को गारंटी के तौर पर 100 रुपये की जगह 160 रुपये देने के बावजूद भी बैंकों का रवैया ठीक-ठाक नहीं रहा, जिसको देखते हुए राज्य शिक्षा वित्त निगम की स्थापना की गयी। उन्होंने कहा कि इंटर से आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए अगर कोई विद्यार्थी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के माध्यम से ऋण लेता है और वह उसे लौटाने की स्थिति में नहीं रहता है तो हम उसे माफ भी करवा देंगे। इसके अलावा विद्यार्थियों को हर सरकारी विश्वविद्यालय और महाविद्यालय में मुफ्त वाई-फाई की सुविधा, कौशल विकास के लिए कुशल युवा कार्यक्रम और बेहतर रोजगार की तलाश में लगे युवाओं को दो साल तक 1000 रुपये तक का सहायता भत्ता दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार यह सब अपने बलबूते कर रही है। इस अवसर पर विधान पार्षद संजीव श्याम सिंह एवं रामचंद्र भारती, पटना नगर निगम की महापौर सीता साहू, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष वर्मा, शिक्षा विभाग के सचिव आर. एल. चोंगथू, शिक्षा विभाग के अपर सचिव मनोज कुमार, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गुलाबचन्द राम जायसवाल, प्रति कुलपति प्रो. गिरीश कुमार चैधरी, बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष ए. के. घोष, ए. एन. कॉलेज की वाईस प्रिंसिपल पूर्णिमा शेखर सिंह, जे. डी. विमेंस कॉलेज की पूर्व प्राचार्य आशा सिंह, ए. एन. कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष राजवीर सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति, महाविद्यालय से जुड़े शिक्षक एवं कर्मचारी उपस्थित थे।

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