नयी दिल्ली , 12 जुलाई, अभी तक हमने सुना है कि पत्नी सावित्री बनकर यमराज से भी पति के प्राण बचा लेती है , लेकिन राजधानी में शायद ऐसा पहली बार हुआ है जब तीन पुरूषों को उनकी नहीं बल्कि एक - दूसरे की पत्नियों ने जीवनदान दिया है। दिल्ली के निजी अस्पताल पुष्पावती सिंघानिया हास्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में गुर्दा प्रतिरोपण के जरिए जीवनदान पाने की आशा में आये तीन पुरूष चिकित्सकीय कारणों से अपनी - अपनी पत्नियों की किडनी प्राप्त नहीं कर सकते थे। लेकिन तभी एक चमत्कार सा हुआ और डॉक्टरों के माध्यम से तीनों की पत्नियों को पता चला कि वह भले ही अपने - अपने पति को अंगदान नहीं कर सकती हैं , लेकिन अगर एक - दूसरे की मदद करें तो वह अपने पतियों की जीवन रक्षा कर सकती हैं। डॉक्टरों द्वारा लगातार 14 घंटे में की गयी तीन सर्जरियों में दिल्ली निवासी सना खातून (26) ने अजय शुक्ला (40) को अपनी किडनी दान की। जबकि उनके पति मोहम्मद उमर युसुफ (37) की जान मधुबनी निवासी लक्ष्मी छाया (40) का गुर्दा बचाया। वहीं छाया के पति कमलेश मंडल (54) को शुक्ला की पत्नी माया शुक्ला (37) ने अपनी किडनी दी। तीनों की सर्जरी आठ जुलाई को अस्पताल के गुर्दा प्रतिरोपण विभाग के प्रमुख डॉक्टर पी . पी . सिंह की टीम ने सुबह आठ बजे से रात दस बजे के बीच की। इस टीम में सात सर्जन , छह एनेस्थिसिया विशेषज्ञ , 18 स्टाफ नर्स और 20 ओटी तकनीकी विशेषज्ञ शमिल रहे।
गुरुवार, 12 जुलाई 2018
जब किडनी की अदला-बदली कर पत्नियों ने बचाई जान
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