बिहार : सांस्थानिक बलात्कार के मुद्दे पर मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री की चुप्पी निराशाजनक एपवा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 12 जुलाई 2018

बिहार : सांस्थानिक बलात्कार के मुद्दे पर मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री की चुप्पी निराशाजनक एपवा

  • 20 जुलाई को महिलाएं मनायेंगी काला दिवस

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पटना. बिहार में हर दिन लड़कियों, महिलाओं पर बलात्कार,हिंसा की खबरें आती रहती हैं लेकिन सबसे चिंताजनक है कि सरकारी संरक्षण में भी लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं. मुजफ्फरपुर बालिका गृह में लड़कियों का बलात्कार और उनसे जबरन यौनकर्म करवाने की घटना को सामने आये लगभग डेढ़ महीने हो गए. इस पर महिला संगठनों ने लगातार आवाज उठाई लेकिन भाजपा-जदयू गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने चुप्पी साध रखी है. हमें नहीं पता वे किस दबाव में चुप हैं.लेकिन इनकी चुप्पी बेटी बचाओ नारे की असलियत को उजागर कर रही है. बिन्दुवार हम कहना चाहते हैं-

* फरवरी2018 में सरकार को टीआईएसएस की रिपोर्ट मिल गई थी तब मई के अंत तक कार्रवाई के लिए क्यों इंतज़ार किया गया.

* ब्रजेश ठाकुर के इस बालिका गृह में 2013 से ही लड़कियों के यौनशोषण की बात आ रही है. उच्चतर अधिकारियों को इसकी जानकारी अगर नहीं थी तो उनकी भूमिका पर सवार खड़ा होता है.

* ब्रजेश ठाकुर को 12 एनजीओ चलाने की इजाजत उच्च स्तर की मिलीभगत के बगैर संभव है? समाज कल्याण मंत्रालय और कल्याण विभाग के सचिव की इसमें क्या भूमिका थी?

* 28 मई को एफआईआर दर्ज होने के बाद यहां रहने वाली लड़कियों को अलग अलग जिलों में भेज दिया गया है. उन्हें धमकाया जा रहा है कि वे सच न बोलें.आरंभ में लड़कियों ने कुछ लोगों का हुलिया बताया था लेकिन उस आधार पर किसी की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?

* लड़कियों के साथ यह अत्याचार वर्षों से हो रहा था तो जिलाधिकारी के की अध्यक्षता में चलने वाली निरिक्षण समिति क्या कर रही थी.पटना में महिलाओं के बड़े प्रदर्शन के बाद  सिर्फ बाल संरक्षण अधिकारी की गिरफ्तारी हुई है. अन्य अधिकारियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है.. जबकि 22 जून को ही ब्रजेश ठाकुर की रिमांड अर्जी इसलिए खारिज हो गई कि पुलिस ने काफी देर से से रिमांड मांगा.

* उस बालिका गृह में 47लड़कियां रहती थीं. अब 44 की ही सूचना मिल रही है. बाकी 3 लड़कियां कहां हैं?

हमारी मांग है कि 
टीआईएसएस की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाय.
इस पूरे मामले की जांच हाईकोर्ट के जज की अध्यक्षता में करवायी जाय.
सीआइडी को इसकी जांच से तत्काल अलग किया जाय क्योंकि डीका कांड में  सीआइडी अपराधियों को बचाने में लगी हुई है.
मुजफ्फरपुर बालिका गृह में रहने वाली लड़कियों को उनकी इच्छा के अनुसार किसी एक गृह में रखा जाए और उन्हें प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिकों की सहायता प्रदान की जाय.

कठुआ से उन्नाव तक बलात्कारियों को बचाने वाली सरकारों की तरह ही नीतीश सरकार भी काम कर रही है. जिसका नतीजा है कि कस्टोडियल रेप की घटनाएं सामने आ रही हैं .छपरा में स्कूल के भीतर छात्रा का बलात्कार इसका उदाहरण है .इससे पहले जहानाबाद, गया की झकझोरने वाली घटनाएं सामने आ चुकी हैं.ये तमाम घटनाएं हमें अपने विरोध आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए मजबूर कर रही हैं.काले रंग से डरने वाले मुख्यमंत्री को बिहार विधानसभा सत्र के पहले दिन हम महिलाएं काला दुपट्टा और स्कार्फ भेंट करना चाहती हैं. इस दिन हम काला दिवस मनायेंगी. अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन(ऐपवा)-मीना तिवारी, शशि यादव, बिहार महिला समाज-सुशीला सहाय, निवेदिता,  बिहार वीमेंस नेटवर्क -नीलू, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति -अनिता होड़, अखिल भारतीय महिला सांस्कृतिक संगठन-अनामिका , ईजाद-अख्तरी बेगम, साझा मंच-सुष्मिता, डब्ल्यू एसएस -पूजा, अजीज फातिमा,इबराना,सबा.

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