बिहार : पश्चिमी चम्पारण के बार्नो दारोगा भी हैं स्वतंत्रता सेनानी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 12 जुलाई 2018

बिहार : पश्चिमी चम्पारण के बार्नो दारोगा भी हैं स्वतंत्रता सेनानी

ईसाइयों की देशभक्ति पर सवाल उठाना वाजिब नहीं, अल्पसंख्यक होने के बाद भी स्वतंत्रता की लड़ाई में कूदे थे ईसाई
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पटना। अब अपने देश में रहने वाले अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय से सवाल किया जा रहा है कि आप लोग देशभक्त नहीं हैं? इसको लेकर ईसाई समुदाय के बीच में आक्रोश व्याप्त है। महज यह कहकर कि ईसाई समुदाय के लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई में लड़े नहीं। सवाल खड़ा करने वाले लोगों को मालूम होना चाहिए कि देश के सैकड़ों ईसाइयों  ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़कर वीरगति प्राप्त किये हैं। पश्चिमी चम्पारण जिले बेतिया क्वार्टर में रहने वाले बार्नो दरोगा हैं।उन्होंने भी आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था। वे अंग्रेजों के खिलाफ हो गए और गांधी जी के आंदोलन में कूदकर जेल गए। उनको आजादी मिलने के बाद ताम्र पत्र मिला था। जो आज भी बेतिया जेल के लिस्ट में उनका नाम है। दुसैया में लाल बंगले के नाम से प्रसिद्व अंग्रेजों के नाच घर को उनको दिया गया।जो आज भी अस्तित्व में है। बेतिया के ही डेविड सेलेस्टिन अंग्रेजों के खिलाफ लड़े। इस बीच मुम्बई के बी.जे.पी. सांसद गोपाल शेट्टी का यह कथन हास्यास्पद एवं अशोभनीय है कि भारत के ईसाइयों का देश के स्वाधीनता की लड़ाई में कोई योगदान नहीं रहा है तथा ईसाई लोग अंग्रेज थे।दरअसल ये जनाब ईसाइयों को कितना जानते हैं? क्या कभी देश के दूसरे राज्यों का दौरा कर वहां के ईसाइयों को जाना है?उनका खुद का देश के स्वाधीनता की लड़ाई में कितना योगदान रहा है? ऐसा लग रहा है कि भारत के ईसाइयों के खिलाफ अभियान छेड़ा जा रहा है।जिसके मन में जो आता है उन्हें आजादी मिली हुयी है कि जो भी मौका मिले ईसाइयों के खिलाफ आग उगलकर देश के हिन्दू भाइयों के मन में जहर घोलो।क्या सांसद महोदय को यह जानकारी नहीं है कि भारत के ईसाइयों में देश भक्ति कूट कूट कर भरा है।क्योंकि वे भारतीय हैं।जहाँ जहाँ भी ईसाई स्कूल है।वहां की अच्छी शिक्षा तथा अनुशासन की वजह से हर धर्म समुदाय के लोग अपने बच्चों की शिक्षा के लिए लालायित रहते हैं।

भारतीय जनता पार्टी मुंबई (बीजेपी) के सांसद गोपाल शेट्टी के एक बयान से विवाद पैदा हो गया है। उन्होंने कहा है कि ईसाई अंग्रेज हैं और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनका कोई योगदान नहीं रहा है। यद्यपि शहर के सबसे वरिष्ठ नेता ने यह बयान उपनगर मलाड में एक ईद मिलन समारोह में दिया था, लेकिन उनके भाषण का वीडियो आया और सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसके अलावा उत्तर मुंबई के सांसद ने कहा, "ईसाई अंग्रेज थे, इसलिए उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग नहीं लिया। भारत को किसी हिंदू या किसी मुसलमान ने आजाद नहीं कराया, आजादी के लिए हम एक होकर लड़े थे। शेट्टी की कड़ी आलोचना करते हुए कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा, यह बीजेपी की घृणित सांप्रदायिक मानसिकता को दर्शाता है। स्वतंत्रता संग्राम ईसाइयों सहित सभी समुदायों के बलिदान का प्रतीक है। शेट्टी को पता होना चाहिए कि सिर्फ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ही अंग्रेजों के समर्थन में था। अल्पसंख्यक विरोधी बयान की निंदा करते हुए मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरूपम ने कहा कि शेट्टी को देश के सभी ईसाइयों से माफी मांगनी चाहिए। उन्हें इतिहास और स्वतंत्रता आंदोलन में ईसाइयों के योगदान की कोई जानकारी नहीं है। शुक्रवार को अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की महासचिव जेनेट डिसूजा और मुंबई महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अजंता यादव ने शेट्टी के बोरीवली पचिम स्थित कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। मलाड में ईसाई समुदाय के दो लोग मविस फर्नाडीज और जेरार्ड लोबो ने मालवणी पुलिस थाने में शेट्टी के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई, और सांप्रदायिक द्वेष फैलाने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की। मालवणी के कांग्रेस विधायक असलम शेख ने कहा कि ईसाई यद्यपि कम हैं, लेकिन उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम और देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मामला बढ़ता देख शेट्टी ने पीछे हटते हुए कहा कि उनके बयान को गलत तरह से समझा गया और उसे गलत तरीके से पेश किया गया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में हर धर्म के लोगों ने योगदान दिया है। शेट्टी ने इस्तीफा देने का संकेत देते हुए कहा कि वे काफी समय से राजनीति में हैं और वह बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को कभी शर्मिदा नहीं होने देंगे। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता माधव भंडारी ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी के शीर्ष नेताओं और प्रदेश अध्यक्ष रावसाहेब पाटील-दानवे ने शेट्टी से बात की और पार्टी उनके साथ है।

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